विदिशा के रावन गांव में रावण के दरबार में पहुंचकर सैकड़ों लोग उनकी पूजा करेंगे। रावण की लेटी हुई प्रतिमा की नाभि पर घी का लेप किया जाएगा, ताकि भगवान राम द्वारा रावण की नाभि में मारे गए अग्निबाण की पीड़ा से उनको राहत मिले। इसके साथ ही यहां दिनभर पूजा-अनुष्ठान होंगे। रावण के मंदिर में करीब 10 फीट लंबी और 3 फीट चौड़ी लेटी हुई प्रतिमा है। लोग इन्हें रावण बाबा के नाम से जानते हैं।
रावण के पुतले का दहन
विदिशा के जैन कॉलेज परिसर में रामलीला मेला समिति के तत्वावधान में आयोजित दशहरा कार्यक्रम में रावण के 35 फीट ऊंचे पुतले का दहन किया जाएगा। यहां आतिशबाजी के साथ भगवान की पूजा भी होगी। राम और रावण की सेना के बीच सांकेतिक युद्ध होगा।
राम की सेना पर बरसाएंगे पत्थर
लटेरी के आनंदपुर में कालादेव का दशहरा प्रसिद्ध है। यहां राम-रावण की सेनाओं के बीच पत्थर चलते हैं। बीच मैदान में रावण की प्रतीक प्रतिमा है। विजय का ध्वज लगाया जाता है। इसे हासिल करने कालादेव गांव के लोग राम के जयकारे लगाते हुए दौड़ते हैं। वे ध्वज की परिक्रमा करते हैं। लेकिन, इस बीच रावण की सेना माने जाने वाले भील उन पर गोफन से पत्थर बरसाते हैं। सैकड़ों पत्थरों में से भी कोई पत्थर राम सेना के लोगों को नहीं लगता। इसके बाद भगवान राम का राजतिलक किया जाता है।