आयुषी ने असफलताओं से ली प्रेरणा
यूपीएससी में 41वीं रैंक हासिल करने वाली आयुषी जैन ने पत्रिका से बातचीत में बताया कि तीसरी बार में उन्होंने ये सफलता हासिल की है। इससे पहले साल 2017 और 2018 में उन्होंने दो बार एंथ्रोपोलॉजी विषय से यूपीएससी की परीक्षा दी थी लेकिन दोनों ही बार असफलता हाथ लगी थी। असफलता मिलने के बाद एक बार तो ऐसा लगा था कि शायद उन्होंने गलत निर्णय ले लिया है लेकिन फिर ये सोचकर तैयारी में जुट जाती थीं कि शायद उनकी तैयारी में ही कोई कमी रह गई होगी। उन्होंने कहा कि दो बार जो असफलता मिली वही उनकी प्रेरणा बनी और आज वो इस रैंक को हासिल कर पाईं। आयुषी कहती हैं कि पिता का शुरू से ही सपना था कि मैं IAS बनूं। शुरू में मैं खुद इसके लिए मानसिक तौर पर तैयार नहीं थी, लेकिन रास्ता चुना तो चलती गई।
आसान नहीं था नौकरी छोड़कर UPSC की तैयारी करना- आयुषी
आयुषी ने बताया कि उन्होंने 2014 में एलएनसीटी कॉलेज भोपाल से कंप्यूटर साइंस में बीई की। फिर दो साल तक बुधनी में डेटा सेंटर एडमिनिस्ट्रेटर के पद पर काम किया। इसके बाद उन्हें लगा कि ये काम उनके लायक नहीं है, उन्हें UPSC में जाना चाहिए। आयुषी ने बताया कि उस वक्त ये निर्णय लेना आसान नहीं था। नौकरी छोड़कर दूसरी प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करना आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने हिम्मत की और तैयारी में जुट गईं। दो बार असफलता मिली लेकिन अब कामयाबी भी मिल गई।
मुझे समाज को कुछ लौटाना है- आयुषी
आयुषी बताती हैं कि कड़े परिश्रम का न तो कोई शार्टकट है और न ही उसका कोई दूसरा विकल्प। मैंने तय किया था कि समाज को कुछ वापस लौटना है, इसलिए यूपीएससी में चयन जरूरी है। उन्होंने युवाओं से आव्हान किया है कि वे अपनी दिशा तय करके ही आगे बढ़ें, लक्ष्य तो तय करना होगा, यूपीएससी में आना चाहते हैँ तो पूरी तैयारी से आएं और जब वो सफल हो सकती हैं तो आप क्यों नहीं। आयुषी अपने चयन के बाद समाज में हरेक को लेकर चलने को सबसे बड़ी चुनौती मानती हैं। वे कहती हैं कि अब महिलाओं, बच्चों, विकलांगों, गरीबों और अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों को उनका हक दिलाना मेरे लिए बड़ी चुनौती है। मैं इसके लिए पूरी शिद्दत से काम करूंगी। आयुषी के पिता सुनील जैन एक किराना व्यापारी हैं और मां गृहणी। आयुषी की एक छोटी बहन और छोटा भाई भी है। छोटी बहन ने ग्रेजुएशन पूरा किया है जबकि छोटे भाई ने 9वीं परीक्षा पास की है।