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भारत के कुछ ऐसे गांव जहां 100-200 साल से नहीं मनाई गई होली, वजह जान हो जाएंगे हैरान

Holi Not Celebrated in These Villages: इस साल होली का त्योहार 8 मार्च को देशभर में मनाया जाएगा। होली को लेकर लोग अच्छे-खासे उत्सुक दिखाई दे रहे हैं। देश में होली का त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। मगर आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में कुछ गांव ऐसे भी मौजूद हैं जहां होली नहीं मनाई जाती है।

Feb 23, 2023 / 05:32 pm

Archana Keshri

Festival of Holi is not celebrated in these villages for 100-200 years

Festival of Holi is not celebrated in these villages for 100-200 years

Holi Not Celebrated in These Villages: रंगों का त्योहार यानि होली को लेकर भारत के लगभग हर हिस्से के लोग अच्छे-खासे उत्सुक रहते हैं। लोग इस त्योहार का बेसब्री से इंतजार करते हैं। होली हमारे देश के प्रमुख त्योहरों में से एक है। कई दिनों पहले से ही होली की धूम देखने को मिल जाती है। इस साल 8 मार्च को देशभर में होली का त्योहार मनाया जाएगा। ऐसे में लगभग हर राज्य होली का त्यौहार धूमधाम से मनाने के लिए तैयार है। हालांकि जहां होली को लेकर जगह-जगह तैयारियां जोरों से चल रही हैं, वहीं भारत में ही कुछ ऐसे स्थान भी हैं जहां यह त्योहार नहीं मनाया जाता है। जी हां, संभव है कि यह बात सुनकर आपको अटपटा जरूर लगे लेकिन यह सत्य है और हैरत की बात यह है कि होली न मनाए के पीछे कारण भी बहुत ही अजीबोगरीब है। तो चलिए जानते हैं उन जगहों के बारे जहां होली नहीं मनाई जाती है और इसके पीछे की वजह क्या है।

उत्तराखंड के इन गांव में नहीं मनाई जाती होली


उत्तराखंड के क्वीली, कुरझण और जौंदली गांव में 150 सालों से होली नहीं मनाई गई है। ये गांव रूद्रप्याग के अगस्तयमुनि ब्लॉक में है। इन जगहों पर होली नहीं मनाने की कई वजहें बताई जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस गांव की इष्टदेवी मां त्रिपुर सुंदरी देवी हैं, जिन्हें हुड़दंग नहीं पसंद। इसके अलावा ये भी वजह बताई जाती है कि इस गांव में जब 150 साल पहले लोगों ने होली खेलने की कोशिश की, तो तीनों गांव हैजा की चपेट में आ गए थे। इस घटना के बाद से किसी ने भी यहां होली खेलने की हिम्मत नहीं जुटाई।

झारखंड के इस गांव में 100 साल से नहीं मनाई गई होली


झारखंड के बोकारो के कसमार ब्लॉक स्थित दुर्गापुर गांव में 100 साल से होली का त्योहार नहीं मनाया गया है। इसके पीछे की वजह के घटना है। दरअसल, एक दशक पहले एक राजा के बेटे की होली के दिन मौत हो गई थी। इसके बाद जब भी गांव में होली का आयोजन होता था, गांव में महामारी फैल जाती थी और कई लोगों की मौत हो जाती थी। उसके बाद राजा ने आदेश दिया था कि आज से यहां कोई भी होली नहीं मनाएगा। तब से लेकर अब तक लोग इस आदेश का पालन करते आ रहे हैं। इसके साथ ही यहां के लोगों का आज भी मानना है कि अगर वो एक-दूसरे को रंग लगाएंगे, तो गांव में महामारी और आपदा आ जाएगी।

गुजरात के इस गांव में 200 साल से नहीं खेली गई होली


गुजरात के रामसन गांव में लगभग 200 साल से होली नहीं मनाई गई है। इस गांव में होली नहीं मनाने के पीछे ये लोककथा है कि प्राचीन काल से इस जगह पर संतों का अभिशाप लगा हुआ है। कहा जाता है कि कई संतों के साथ उस समय के राजा ने बहुत बुरा व्यवहार किया था। उनके द्वारा दिए गए अभिशाप के कारण इस गांव के लोग होली मनाने से डरते हैं।

मध्य प्रदेश के इस गांव में 125 साल से नहीं मनी होली


मध्य प्रदेश के बैतूल जिले की मुलताई तहसील के डहुआ गांव में 125 साल से ज्यादा होली का त्योहार नहीं मनाया गया है। यहां के रहने वाले लोगों का कहना है कि लगभग 125 साल पहले होली के दिन इस गांव के प्रधान बावड़ी में डूब गए थे, जिसके चलते उनकी मौत हो गई। प्रधान की मौत से गांव के लोग बहुत दुखी हुए और इस घटना के बाद लोगों के मन में डर बस गया। इसके बाद से यहां के लोगों ने होली ना खेलना धार्मिक मान्यता बना ली है।

हरियाणा के इस गांव में शाप की वजह से नहीं मनाते होली


हरियाणा के कैथल के गुहल्ला चीका स्थित गांव में 150 साल से होली नहीं खेली गई है। इसके पीछे का कारण एक शाप है। दरअसल 150 साल पहले इस गांव में एक ठिगने कद के बाबा रहते थे। कुछ लोगों ने होली के दिन उनका मजाक बनाया। अपमान से क्रोधित बाबा ने होली दहन के समय आग में कूदकर आत्महत्या कर ली। उन्होंने मरने से पहले गांव वालों को शाप दे दिया कि जो भी आज के बाद होली मनाएगा उसके परिवार का नाश हो जाएगा। उसके बाद से आज तक यहां होली नहीं मनाई गई।

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छत्तीसगढ़ के इन दो गांव में अलग-अलग वजह से नहीं मनाई जाती होली


छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के खरहरी नाम के एक गांव में लगभग 150 साल से होली का त्योहार नहीं मनाया जाता है। यहां के लोगों का कहना है कि 150 साल पहले यहां भीषण आग लगी थी, जिसके कारण गांव के हालात बेकाबू हो गए थे। आग लगने के बाद पूरे गांव में महामारी फैल गई। गांव के बुजुर्गों का कहना है कि त्रासदी से छुटकारा पाने के लिए एक हकीम को देवी ने स्वपन में दर्शन दिए थे। देवी ने स्वपन में कहा था कि अगर गांव के लोग होली का त्योहार नहीं मनाएंगे तो यहां शांति वापस आ जाएगी। यही वजह है कि तब से लेकर अब तक यहां होली नहीं मनाई गई।

वहीं, छत्तीसगढ़ के ही धमनागुड़ी गांव में भी पिछले 200 सालों से होली नहीं मनाई गई है। इस गांव के लोग होली जलाने से लेकर गुलाल रंग से भी काफी दूर रहते हैं। इस गांव के लोग दैवीय खौफ के कारण होली नहीं मनाते। यहां को लोग होली के रंग और गुलाल से इतना डरते हैं कि इस दिन वे लोग बाहर निकलने से भी कतराते हैं और खुद को घर के अंदर बंद कर लेते हैं।

उत्तर प्रदेश के इस गांव में केवल महिलाएं मनाती है होली का त्योहार


उत्तर प्रदेश के कुंडरा गांव में होली के त्योहार पर केवल महिलाओं को रंगों और गुलालों से होली खेलने की इजाजत मिली है। इसके पीछे की कहानी यह है कि यहां यहां होली के दिन मेमार सिंह नाम के एक डकैत ने एक ग्रामीण की हत्या कर दी थी। उस समय से लोगों ने होली खेलना बंद कर दिया था। मगर, बाद में महिलाओं को होली खेलने की इजाजत मिल गई। यहां लड़कियों, पुरुषों और बच्चों तक को होली खेलने की इजाजत नहीं होती है। वहीं इस पुरुष खेतों पर चले जाते हैं ताकि महिलाएं आराम से होली का आनंद लें सके। इस दिन महिलाएं राम जानकी मंदिर में इकट्ठी होकर जमकर होली खेलती हैं।

तमिलनाडु के लोग इस दिन को मानते हैं पवित्र, लेकिन नहीं मनाते होली


यह तो सभी जानते हैं कि उत्तर-भारत और दक्षिण भारत के कई रीति-रिवाज आपस में मेल नहीं खाते हैं। ऐसा ही कुछ होली वाले दिन भी होत है। यहां को ज्यादातर लोग होली नहीं मनाते हैं। होली पूर्णिमा के दिन आती है और तमिल लोग मासी मागम मनाकर इसे सम्मान देते हैं। ऐसा माना जाता है कि ये एक पवित्र दिन है। इस खास मौके पर तमिलनाडु के कई लोगों का मानना है कि इस दिन आकाशीय जीव और पूर्वज, पवित्र नदियों, तालाबों और पानी में डुबकी लगाने के लिए धरती पर उतरते हैं।

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