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अकाल से बचने के लिए कराया गया था निर्माण
इस 29 मीटर ऊंचे गोलघर का निर्माण गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स के आदेश पर इंजीनियर जान ने किया था। इसका निर्माण 1784 में शुरू हुआ था और 1786 में यह बनकर पूरा हुआ था। इस गोलघर की खासियत यह है कि इसमें एक बार में 1,40,000 किलो अनाज का भंडारण किया जा सकता है। इतना ही नहीं उस समय यह गोलघर पटना की सबसे ऊंची इमारत हुआ करता था।
ऐसा था गोलघर का स्ट्रक्चर
गोलघर के ऊपरी सिरे पर एक छिद्र बनाया गया है जिससे अनाज को गोलघर में भरा जाता था। अनाज को बाहर निकालने के लिए चार दरवाजे बनाए गए हैं। छत तक जाने के लिए दो सर्पिलाकार सीढ़ियों को बनाया गया है। इसका आकार 125 मीटर और ऊंचाई 29 मीटर है। इसमें कोई स्तंभ नहीं है और इसकी दीवारें आधार में 3.6 मीटर मोटी हैं। गोलघर के शिखर तक पहुंचने के लिए 145 सीढियां हैं। इसे राज्य सरकार ने 1979 में राज्य स्मारक घोषित कर दिया था। खास बात यह है कि यहां से शहर का एक बड़ा हिस्सा देखा जा सकता है।
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हर साल आते हैं हजारों सैलानी
गोलघर के महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसे जहां राज्य सरकार ने स्मारक घोषित कर दिया है। वहीं इसे देखने के लिए हर साल हजारों सैलानी बिहार आते हैं और इसे देखकर आनंदित हो जाते हैं।