Patrika She News: संघर्ष हर किसी के जीवन में आता है। कोई उसमें थककर हालातों से समझौता कर सपनों का गला घोट देता है, तो कोई संघर्ष कर उन सपनों को सच कर दिखाता है।
Patrika She News: संघर्ष हर किसी के जीवन में आता है। कोई उसमें थककर हालातों से समझौता कर सपनों का गला घोट देता है, तो कोई संघर्ष कर उन सपनों को सच कर दिखाता है। ऐसी ही हैं ग्वालियर की जानवी रोहिरा, जिन्होंने बचपन में आर्थिक तंगी का काफी सामना किया। पिता पर चार बेटियों और दो बेटों की जिम्मेदारी को कम करने उन्होंने ट्यूशन पढ़ाकर खुद की फीस भरी। ग्रेजुएशन के दौरान भी स्कूल में टीचर रहीं। आज एक हॉस्टल चलाने के साथ ही चॉकलेट फैक्ट्री में पार्टनर भी हैं।
पहले स्कूल में पढ़ातीं फिर खुद पढऩे जातीं
जानवी ने बताया कि बचपन से उनका सपना डॉक्टर या बिजनेस वुमन बनने का था, लेकिन घर में हालात अच्छे नहीं थे। पापा-मम्मी बीमार रहने लगे। बड़े भाई ने टेंट का काम संभाला। बड़ी दीदी और उन्होंने ट्यूशन पढ़ाने शुरू किए। ग्रेजुएशन के दौरान पहले स्कूल में एक घंटे क्लास लेती थीं।
छोटे स्तर पर शुरू किया था गर्ल्स हॉस्टल
शादी के बाद मैंने बिजनेस वुमन बनने के सपने को खोने नहीं दिया। पति और ससुर को मनाया और छोटे स्तर पर हॉस्टल खोला। आज हॉस्टल अच्छा चल रहा है। इसके साथ ही चॉकलेट फैक्ट्री भी शुरू की, जिसमें मैं पार्टनर हूं। -जानवी रोहिरा, बिजनेस वुमन