नींद में आते हैं बुरे सपने, तो हो जाइए सावधान!
अगर आप नींद में बार-बार बुरे सपने देखते हैं और ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहे हैं, तो सावधान हो जाइए
अगर आप नींद में बार-बार बुरे सपने देखते हैं और ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहे हैं, तो सावधान हो जाइए। अगर ऐसा है तो आप मानसिक बीमारी ‘पोस्ट ट्रामैटिक स्ट्रैस डिसऑर्डर’ (पीटीएसडी) का शिकार हो सकते हैं।
मनोवैज्ञानिकों बताते हैं कि इस बीमारी से पीडि़त व्यक्ति चिड़चिड़ा और छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करता है। ‘पीटीएसडी’ ऐसी समस्या है, जहां दिमाग में अतीत की घटनाएं वर्तमान में प्रतिक्रया देती हैं। एक शोध के अनुसार बचपन में मन पर आघात व परिवारिक तनाव पीटीएसडी होने की संभावना बढ़ाते हैं।
ये होते हैं पीटीएसडी के लक्षण
जल्दी जागना और नींद में बुरे सपने देखना
– एक घटना का बार-बार दिखना या याद आना
– भूलना या विस्मृति और स्मृति में परेशानी
– ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
– अति सतर्कता, अचानक तेज गुस्सा और कभी-कभी हिंसक होना
– अचानक डर का दौरा पडऩा
– अकारण मांसपेशियों में दर्द
– घबराहट और चिंता बनी रहना
– अत्याधिक शर्म, ग्लानि और शर्मिंदगी
– अत्यधिक भावुक होना
– घटना से जुड़ी बातों को नजरअंदाज करना
ऐसे होता है उपचार
पीड़ित की मनोदशा में जल्दी सुधार और आघात के लक्षण कम करने के लिए चिकित्सक ‘मूड एलिवेटर’ थेरेपी का इस्तेमाल करते हैं। इसके लिए सम्मोहन (हिप्नोसिस) का भी सहारा लिया जाता है। जो काफी हद तक कारगर सिद्ध हुए हैं।
ये पद्धतियां भी आती हैं काम
संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (कागनेटिव बिहेवरल थेरेपी)
यह एक वैज्ञानिक वातार्लाप की विधि है। इसके तहत दर्दनाक घटनाओं से उपजी गलत सोच के बारे में पीड़ित से बात की जाती है।
आघात केंद्रित सीबीटी
यह विधि में पीडि़त को आघात संबंधी वार्ता के लिए प्रोत्साहित कर उसकी झिझक दूर करने सहित चिंता दूर करने की कोशिश की जाती है।
नेत्र विचेतन और पुर्नलोकन
इसके अंतर्गत पीडि़त को चिकित्सक की उंगली को देखते हुए अपने आघात के बारे में बातें करने को कहा जाता है। इससे माना जाता है कि पीड़ित के लक्षण में काफी सुधार संभव है। पीटीएसडी के उपचार में यह सबसे कारगर तरीका है।
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