राजनीतिक असर के कई उदाहरण सामने
अमरीकियों (USA) को क्यों ऐसा लगता है कि तकनीकी कंपनियों के पास बहुत अधिक राजनीतिक शक्ति है, उसके कुछ कारण पिछले दिनों नजर आ चुके हैं। 2020 के सर्वेक्षण से यह साफ हो चुका है कि वॉशिंगटन में कैपिटल हिल पर हमले के समन्वय के लिए सामाजिक प्लेटफार्मों (Social Media Platform) का उपयोग किया गया था। जिसके परिणामस्वरूप, उन हमलों को बढ़ावा देने के लिए तत्कालीन मौजूदा राष्ट्रपति (USA Prseident Joe Biden) को उन प्लेटफार्मों से प्रतिबंधित कर दिया गया। इसके बाद पूर्व राष्ट्रपति को अपना एक सोशल मीडिया एप ट्रुथ सोशल लेकर आना पड़ा, जिसका मूल्य आज करीब 10 अरब डॉलर आंका जा रहा है। वहीं पिछले दिनों, अमरीकी सरकार चीनी स्वामित्व वाले टिकटॉक के प्रभाव से इतनी चिंतित दिखी है कि राष्ट्रपति बाइडन ने एक विधेयक पर हस्ताक्षर किए हैं जो ऐप को हमेशा के लिए प्रतिबंधित कर सकता है।
बिग टेक कंपनियों की विचारधारा
लेकिन इन तकनीकी कंपनियों के राजनीतिक पूर्वग्रह के विषय पर रूढ़िवादी और उदारवादी अमरीकियों के विचार अलग-अलग दिखे। सर्वेक्षण में शामिल 71% रिपब्लिकन ने कहा कि बड़ी तकनीक कंपनियां रूढ़िवादी दृष्टिकोण की तुलना में उदारवादी दृष्टिकोण का समर्थन करती है, जबकि 50% डेमोक्रेट ने कहा कि तकनीकी कंपनियां पर प्रकार के प्रकार के विचारों का समान रूप से समर्थन करती हैं। वहीं, केवल 15% वयस्कों ने कहा कि टेक कंपनियां उदारवादियों की तुलना में रूढ़िवादियों का समर्थन करती हैं। इसके चलते कुछ ऐसे प्लेटफॉर्म भी सामने आए हैं स्पष्ट रूप से कंजरवेटिव विचारों को बढ़ावा देते हैं, जैसे रंबल, पार्लर और ट्रम्प का ट्रुथ सोशल ऐप।
टेक कंपनियों का रेगुलेशन चाहते हैं लोग
राष्ट्रपति जो बाइडन के दौर में कई बिग टेक कंपनियों जैसे अमेजन, ऐप्पल और मेटा (फेसबुक) के खिलाफ एकाधिकारवादी रवैये के आरोप में कार्रवाई की गई है। लेकिन प्यू सर्वेक्षण बताता है कि सिर्फ 16 फीसदी अमरीकी मानते हैं कि इन कंपनियों पर कम रेगुलेशन होना चाहिए। हालांकि ऐसा मानने वालों की संख्या पिछले सर्वेक्षण की तुलना में 7 फीसदी बढ़ गई है। इतना ही नहीं, अमरीका में इन कंपनियों पर लगाम लगाने के लिए दो अलग-अलग बिल लाने के लिए अलग-अलग सांसद प्रयास कर रहे हैं। इसमें एक बिल विशेषकर बच्चों को इन कंपनियों के असर से बचाने के लिए है।