लाइव साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक शोधकर्ताओं का कहना है कि नया कंप्यूटिंग स्टोरेज सिस्टम इतने गर्म तापमान पर भी काम कर सकता है, जब चट्टानें तक पिघल सकती हैं। नेचर इलेक्ट्रॉनिक्स जर्नल में छपे शोध में बताया गया कि ‘फेरोइलेक्ट्रिक डायोड’ का इस्तेमाल करने वाले सेंसर और कंप्यूटिंग डिवाइस बेहद गर्म इलाकों में भी काम कर सकते हैं। यह डिवाइस न्यूक्लियर प्लांट, जमीन की गहराई में तेल-गैस की खोज के दौरान या सौरमंडल के सबसे गर्म ग्रह शुक्र पर भी काम कर सकता है। शुक्र का औसत तापमान करीब 464 डिग्री सेल्सियस है।
शुरू होगा नॉन-सिलिकॉन डिवाइस का दौर
पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी में इलेक्ट्रिकल और सिस्टम इंजीनियरिंग में पोस्टडॉक्टरल शोधकर्ता धीरेन प्रधान का कहना है कि इस डिवाइस से ऐसे कंप्यूटर बनाने का रास्ता खुल सकता है, जो पृथ्वी के सबसे मुश्किल हालात में भी काम कर सकते हैं। इससे नॉन-सिलिकॉन कंप्यूटिंग डिवाइस का नया युग शुरू हो सकता है, जो एआइ जैसे हैवी डेटा टास्क के लिए मेमोरी और प्रोसेसिंग को जोडऩे का काम करता है।
इस मैटेरियल का किया इस्तेमाल
नया कंप्यूटिंग डिवाइस बनाने में फेरोइलेक्ट्रिक एल्यूमीनियम स्कैंडियम नाइट्राइड नाम के मैटेरियल का इस्तेमाल किया गया। शोध से जुड़े पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर दीप जरीवाला ने कहा, यह डिवाइस एडवांस कंप्यूटिंग को वहां पहुंचा सकता है, जहां अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स और मेमोरी डिवाइस लडख़ड़ा जाते हैं।