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दुनियाभर में ऊर्जा संकट का कहर, यूरोप ने इससे निपटने के लिए अपनाया यह दिलचस्प तरीका

भारत सरकार ने ऐसी किसी बात से इंकार किया है मगर यह अपील भी की है कि लोग सोच-समझकर बिजली खर्च करें। दूसरी ओर राज्य सरकारों को भी हिदायत दी है कि बिजली बेचना बंद कर दें। अगर ऐसा किया तो बिजली आपूर्ति रोक दी जाएगी।
 

Oct 14, 2021 / 08:03 am

Ashutosh Pathak

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नई दिल्ली।

चीन के बाद भारत और अब यूरोपीय देशों समेत करीब-करीब पूरी दुनिया में ऊर्जा संकट गहराता जा रहा है। चीन में जहां करीब एक हफ्ते तक ब्लैक आउट जैसी स्थिति रही, वहीं भारत में भी कुछ राज्यों में इसकी आशंका जताई जा रही है।
हालांकि, भारत सरकार ने ऐसी किसी बात से इंकार किया है मगर यह अपील भी की है कि लोग सोच-समझकर बिजली खर्च करें। दूसरी ओर राज्य सरकारों को भी हिदायत दी है कि बिजली बेचना बंद कर दें। अगर ऐसा किया तो बिजली आपूर्ति रोक दी जाएगी।
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वहीं, यूरोपीय संघ ने भी तेल और गैस तथा कोयले के बढ़ते दामों से निपटने के लिए जरूरी कदम उठाए हैं। यूरोप में तेल, गैस और कोयले की बढ़ती कीमतों का प्रभाव उद्योग-धंधों पर पड़ रहा है। यही नहीं, आम लोगों के लिए घरों में लगे हीटिंग सिस्टम को चलाना भी मंहगा पड़ रहा है।
यूरोपीय संघ के ऊर्जा मामलों की आयुक्त कादरी सिम्सन ने सदस्य देशों से कहा है कि वे नए कर लगाएं और बढ़ी कीमतों से लोगों को बचाने के लिए सब्सिडी की व्यवस्था करें। कादरी ने कहा कि यूरोपीय संघ इसकी संभावना तलाश करेगा कि क्या वे साझा तौर पर गैस के कुएं खरीद सकते हैं। उन्होंने साथी देशों से कहा कि वे जल्द से जल्द अक्षय ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा दें।
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इसके अलावा, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है यूरोपीय देशों को गैस की ऊंची कीमतों के लिए रूस पर आरोप नहीं लगाना चाहिए। पुतिन ने कहा कि गर्मियों में वे अपने स्टॉक जमा नहीं कर सके। रूसी राष्ट्रपति का कहना है कि फिलहाल गैस की जो कमी है, उसकी वजह यूरोप में इसको लेकर की गई जटिल व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा के लिए वहां कई तरह के साधनों का इस्तेमाल होता है जैसे पवन ऊर्जा, जिससे दिक्कतें पैंदा होती हैं। यही नहीं, बढ़ी हुई कीमतें निर्यातकों पर भी नकारात्मक असर डालते हैं, क्योंकि वो भी बाजार में स्थायित्व चाहते हैं।

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