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BREXIT : ब्रेग्जिट से ब्रिटेन जीता तो ताकतवर जर्मनी कैसे हारा?

ब्रेग्जिट के बाद यूरोपीय संघ (european union) की शक्ति का केंद्र अब दक्षिण-पूर्व यूरोप की ओर मुड़ गया है, यूरोपीय संसद और परिषद दोनों में

Feb 18, 2020 / 03:35 pm

pushpesh

BREXIT : ब्रेग्जिट से ब्रिटेन जीता तो ताकतवर जर्मनी कैसे हारा?

जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल

जयपुर.

ब्रेग्जिट के बाद यूरोपीय संघ के 27 सदस्य देशों में आयरलैंड सबसे ज्यादा चिंतित है तो जर्मनी दूसरे नंबर पर है। ऐसा इसलिए, क्योंकि ब्रेग्जिट न केवल यूरोपीय संघ बल्कि जर्मनी पर भी इसका असर होगा। 1950 में जब से यूरोप का एकीकरण शुरू हुआ था, तभी से जर्मनी अपने जुझारू अतीत के लिए जाना जाता है। ब्रेग्जिट का अर्थ है कि यूरोपीय संघ की शक्ति का केंद्र अब दक्षिण पूर्व की ओर मुड़ गया है, यूरोपीय संसद में भी और परिषद में भी। जर्मनी, स्वीडन, डेनमार्क, फिनलैंड, आयरलैंड और नीदरलैंड के साथ यूरोपीय संघ में ब्रिटेन की हिस्सेदारी 36.8 फीसदी थी, जबकि ब्रिटेन के बिना यह 27.8 फीसदी रह गई। जो वीटो पावर के लिए काफी कम है। दूसरा, इससे पश्चिम और पूर्व के बीच संबंध भी प्रभावित होंगे। मसलन विसग्राड-4 या वी-4 समूह के देश पोलैंड, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया और हंगरी ने यूरोपीय संघ की शरणार्थी नीति को अस्वीकार कर दिया, जो 2015 में शरणार्थी संकट के बाद जर्मनी ने तय की थी। साथ ही ऑस्ट्रिया जैसे जर्मनी के पारंपरिक सहयोगियों का भी समर्थन हासिल कर लिया। इसके अलावा भी कई मुद्दे हैं, जिन पर जर्मन विरोधी गठजोड़ आकार ले रहा है।
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ईयू से नाराजगी नहीं चाहते कई देश
कभी जर्मनी इतना शक्तिशाली था कि ‘एक जर्मन यूरोप’ अथवा ‘एक यूरोपीय जर्मनी’ के बीच चुनने को लेकर यूरोप की हमेशा निंदा होती रही है। इसके बाद जर्मनी, फ्रांस और शेष यूरोपीय देशों को साधने में ब्रिटेन की बड़ी भूमिका रही, जिसके पास पर्याप्त आर्थिक, जनसांख्यिकी और सैन्य बल था। लेकिन जर्मनी की बजाय ब्रिटेन की शक्ति बढऩे से ज्यादातर यूरोपीय देश नाराज थे। वे चाहते थे कि जर्मनी फिर से लीड करे, क्योंकि वे यूरोपीय संघ की नाराजगी नहीं चाहते।
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संबंधों को पुनर्जीवित करने की चुनौती
इंग्लैंड के नागरिकों को इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए था कि जर्मनी ने कभी भी ब्रेग्जिट वार्ता में मजबूती से पक्ष नहीं रखा। इसकी वजह भी साफ है। जर्मनी यूरोपीय संघ के साथ सामंजस्य और फ्रांस के साथ संबंधों को तरजीह देता है। कई जर्मनवासियों को ब्रेग्जिट का पछतावा है। कुछ जर्मन-ब्रिटिश मैत्री संधि के लिए जोर दे रहे हैं। बहरहाल ब्रेग्जिट के बाद ठगा सा महसूस कर रहे जर्मनी के लिए ब्रिटेन और यूरोपीय संघ सदस्य देशों से संबंधों को पुनर्जीवित करना बड़ी चुनौती है।

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