बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के विवादास्पद इस्तीफे के बाद खाली हुए पद पर रानिल विक्रमसिंघे द्वीप राष्ट्र में रिकॉर्ड छठी बार प्रधानमंत्री पद संभाल लिया है।
बुधवार की रात को राष्ट्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति गोटाबाया ने घोषणा की थी कि उनके भाई महिंदा राजपक्षे और उनकी सरकार द्वारा खाली किए गए पदों के लिए एक नए पीएम की नियुक्ति होगी और सरकार में बदलाव किया जाएगा।
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भारत के ‘दोस्त’ रानिल विक्रमसिंघेमहिंदा राजपक्षे चीन के समर्थक मानें जाते हैं, लेकिन उनकी अपेक्षा में रानिल विक्रमसिंघे का झुकाव भारत की तरफ अधिक रहा है। या यूं कहें कि वो भारत के अधिक करीब मानें जाते हैं। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि विक्रमसिंघे के पीएम बनने से दोनों देशों के संबंधों में और मधुरता आएगी।
राष्ट्रपति प्रणाली को किया जा सकता है समाप्त
गोटाबाया ने ये भी कहा कि वह कार्यकारी अध्यक्ष की 19 वीं संशोधन की शक्तियों को फिर से शुरू करने और संसद को कई शक्तियां देने के लिए काम करेंगे। उन्होंने राष्ट्रपति प्रणाली को समाप्त करने पर भी सहमति व्यक्त की। राजपक्षे ने कहा कि नई सरकार एक ऐसे प्रधानमंत्री द्वारा चलाई जाएगी जो संसद में बहुमत हासिल कर सके।
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नए पीएम के सामने होंगी कई बड़ी चुनौतियांबता दें कि श्रीलंका में महंगाई के कारण आम जनता सरकार के विरोध में सड़कों पर उतर गई है। अनाज से लेकर दूध-दवा तक की कमी से श्रीलंका जूझ रहा है। यहाँ हालात इतने बेकाबू हो चुके हैं कि लोग हिंसा तक पर उतर आए हैं और सरकार भी आम जनता के खिलाफ सख्त फैसले ले रही है। ऐसे में नए प्रधानमंत्री के समक्ष कई बड़ी चुनौतियां हैं।