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G-7 Summit 2024: आज से इटली में हो रहा दुनिया की 7 महाशक्तियों का संगम, जानिए G-7 के बारे में सबकुछ, PM मोदी भी हो रहे शामिल

G-7 Summit 2024: 1997 में रूस इस ग्रुप में शामिल हो गया था जिसके बाद ये G-8 बन गया था लेकिन सन् 2014 में रूस के क्रीमिया के जबरन यूक्रेन से छीनने के बाद रूस को इस ग्रुप से हटा दिया गया। तब से ये ग्रुप फिर G-7 का हो गया।

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What is G-7 Summit and its working, why india is not part of this international group

G-7 Members Country Flag

G-7 Summit 2024: आज यानी 13-15 जून को इटली में G-7 (Group of Seven) का शिखर सम्मेलन होने जा रहा है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस बैठक में हिस्सा लेंगे। बता दें कि भारत इस G-7 का हिस्सा नहीं है फिर भी वो इस बैठक में ले रहा है। G-7 एक अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संगठन है, जिसमें दुनिया के 7 प्रमुख औद्योगिक देश शामिल हैं। इसका गठन सन् 1975 में हुआ था, जब वैश्विक आर्थिक संकट और तेल की बढ़ती कीमतों के जवाब में प्रमुख आर्थिक शक्तियों ने एक मंच पर आने का फैसला लिया। शुरुआत में ये संगठन 6 देशों का थास, तब इसे G-6 कहा जाता था। फिर दो देश इसमें और जुड़े तब ये G-8 हो गया लेकिन एक देश के बाहर हो जाने के बाद इसमें 7 देश ही रह गए और ये हमेशा के लिए G-7 हो गया।

G-7 के सदस्य देश 

संयुक्त राज्य अमेरिका (USA)

कनाडा (Canada)

फ्रांस (France)

जर्मनी (Germany)

इटली (Italy)

जापान (Japan)

यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom)

बता दें कि 1975 में संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, और यूनाइटेड किंगडम ने मिलकर इस G-7 की स्थापना की थी। तब ये G-6 था। इसके बाद 1976 में कनाडा इस ग्रुप में शामिल हो गया। जिससे ये  G-7 बन गया। इसके बाद 1997 में रूस इस ग्रुप में शामिल हो गया था जिसके बाद ये G-8 बन गया था लेकिन सन् 2014 में रूस के क्रीमिया के जबरन यूक्रेन से छीनने के बाद रूस को इस ग्रुप से हटा दिया गया। तब से ये ग्रुप फिर G-7 का हो गया।  G-7 का मुख्यालय हर साल अलग-अलग देश में होता है, जिसमें सदस्य देशों के नेता एक साथ आते हैं (G-7 Summit) और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करते हैं। हर साल हर एक देश को इस शिखर सम्मेलन की मेज़बानी मिलती है।

क्या है G-7 का काम?

G-7 (Group of Seven) शिखर सम्मेलन में आमतौर पर वैश्विक आर्थिक नीतियों, सुरक्षा, पर्यावरण, और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होती है। सदस्य देशों के अलावा, विशेष आमंत्रित देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को भी शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया जाता है। G-7 (Group of Seven) का मुख्य कार्य वैश्विक आर्थिक स्थिरता और विकास को बढ़ावा देना है। ये समूह प्रमुख औद्योगिक देशों का एक मंच है, जो इन उद्देश्यों पर काम करता है

वैश्विक आर्थिक नीति- सदस्य देशों के बीच समन्वय और सहयोग को बढ़ावा देना।

वित्तीय स्थिरता- वित्तीय बाजारों की स्थिरता और विकास को सुनिश्चित करना।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार- व्यापार नीतियों को समन्वित करना और मुक्त व्यापार को बढ़ावा देना।

पर्यावरण और जलवायु- पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर काम करना।

सामाजिक विकास- स्वास्थ्य, शिक्षा और गरीबी उन्मूलन जैसे सामाजिक मुद्दों पर ध्यान देना।

इस समूह के सदस्य देशों के नेता हर साल होने वाले शिखर सम्मेलन में मिलते हैं। जहां वो इन अहम मुद्दों पर चर्चा करते हैं और इनके समाधान का रास्ता तलाशते हैं। 

G-7 दुनिया के कितने हिस्से की GDP कवर करता है?

G-7 वैश्विक GDP का लगभग 40% कवर करता है। इन देशों की अर्थव्यवस्थाएँ दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे प्रगतिशील अर्थव्यवस्थाओं में से हैं और ये आर्थिक नीति, व्यापार, वित्तीय स्थिरता, और वैश्विक मुद्दों पर अहम भूमिका निभाते हैं। G-7 देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, और यूनाइटेड किंगडम शामिल हैं। 

भारत क्यों नहीं है इस ग्रुप का हिस्सा?

भारत G-7 का सदस्य नहीं है क्योंकि G-7 का गठन 1975 में 6 प्रमुख औद्योगिक देशों (संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, और यूनाइटेड किंगडम) के समूह के तौर पर हुआ था। इसके अगले ही साल कनाडा इसमें जुड़ गया था। इस समूह का उद्देश्य आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा और समाधान करना था। हालांकि, भारत एक उभरती हुई आर्थिक शक्ति है, लेकिन इसका औद्योगिक और आर्थिक विकास G-7 की स्थापना के समय उतना अहम नहीं था जितना कि आज के समय में है। साल 2019 के बाद से अक्सर भारत को G-7 शिखर सम्मेलन में खासतौर पर आमंत्रित किया जाता है।  जो इस बात का सबूत है कि वैश्विक मुद्दों पर भारत की भूमिका कितनी अहम होती जा रही है और इसके कितनी मान्यता मिल रही है।

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