
PM Narendra Modi Attend G-7 Summit 2022
G-7 Summit: नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री की शपथ लेने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री बनने के बाद वो G-7 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए इटली रवाना होंगे। न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक पीएम मोदी (Narendra Modi) इस आने वाले इस हफ्ते की 12 तारीख को इटली (Itly) के लिए उड़ान भर सकते हैं। इस साल G-7 की अध्यक्षता इटली कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक नरेंद्र मोदी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह (Modi 3.0 Oath Ceremony) में विदेशी मेहमानों की संख्या इसलिए भी सीमित रखी क्योंकि कुछ ही दिन बाद G-7 देशों का शिखर सम्मेलन होना है।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने पहली बार 2019 में G-7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया था। ये शिखर सम्मेलन 24-26 अगस्त 2019 को फ्रांस के बिआरिट्ज़ में आयोजित हुआ था। मोदी को विशेष आमंत्रित के रूप में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन (Emmanuel Macron) ने आमंत्रित किया था। तब से मोदी ने लगातार G-7 समिट में हिस्सा लिया है। जिसमें उन्हें कई वैश्विक मुद्दों पर भारत की राय पेश करने का मौका मिला है।
2019 - बिआरिट्ज़, फ्रांस- यह उनकी पहली G7 बैठक थी, जिसमें उन्हें फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन द्वारा विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था।
2021 - कॉर्नवाल, यूनाइटेड किंगडम- उन्होंने इस बैठक में भी विशेष अतिथि के रूप में भाग लिया।
2022 - म्यूनिख, जर्मनी- मोदी ने इस शिखर सम्मेलन में विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की।
2023 - हिरोशिमा, जापान- मोदी ने इस शिखर सम्मेलन में भाग लिया और कई नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें की थी।
भारत G-7 का सदस्य नहीं है लेकिन इसे बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया जाता है। G7 शिखर सम्मेलन में मेजबान देश अक्सर दूसरे अहम देशों और संगठनों को आमंत्रित करते हैं, जिन्हें वो विशेष अतिथि या पर्यवेक्षक के तौर पर बुलाते हैं। इसका उद्देश्य वैश्विक मुद्दों पर व्यापक चर्चा करना और विभिन्न दृष्टिकोणों को शामिल करना है। भारत की आर्थिक और रणनीतिक महत्व को देखते हुए, इसे कई बार G7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है, जिससे वैश्विक समस्याओं के समाधान में योगदान मिल सके। क्योंकि भारत एक महत्वपूर्ण वैश्विक शक्ति है और कई वैश्विक मुद्दों पर उसकी अहम भूमिका है।
वैश्विक मुद्दों पर सहयोग- जलवायु परिवर्तन, आर्थिक स्थिरता, स्वास्थ्य संकट आदि जैसे मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने के लिए।
अंतर्राष्ट्रीय संबंध- विभिन्न देशों के बीच द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए।
क्षेत्रीय स्थिरता- महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा और समाधान खोजने के लिए।
Updated on:
09 Jun 2024 04:39 pm
Published on:
09 Jun 2024 04:38 pm
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