जबलपुर। एक डॉक्टर तनाव के चलते लोगों में बढ़ रही आत्महत्या की प्रवृत्ति पर डेमो दे रहे थे। उन्होंने सबसे पहले स्टूल रखा और उस पर चढ़ गए। पंखे पर एक रस्सी लगाई, फिर फंदा बनाया, इसके बाद उन्होंने बकायदा उसे गले में सबके सामने डाल लिया। देखते ही देखते डॉक्टर साब उस फंदे पर खुद झूल गए। ये देखकर वहां मौजूद लोग सकते में आए, लेकिन ये क्या डॉक्टर साब के फंदा लगाते ही पंखा भी नीचे आ गया और तेज अलार्म बजने लगा। फिर वहां मौजदू लोग डॉक्टर के पास पहुंचे और उन्होंने फंदे से बाहर निकाल लिया। दरअसल, यह एक डेमो क्लास थी। जिसमें विशेषज्ञ डॉक्टर एक डेमो दे रहे थे।
यह है मामला
आत्महत्या रोकने के लिए तैयार किए गया सीलिंग फैन अब और सिक्योर हो चुका है। पंखे पर लटकने की कोशिश करने पर जहां पंखा नीचे आ जाएगा। वहीं इसमें अलार्म भी बजेगा। शहर के हृदयरोग विशेषज्ञ और मध्यप्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. आरएस शर्मा ने 2013 में सीलिंग फैन को मोडिफाइ कर एक एेसे उपकरण में बदल दिया था, जिससे लटककर कोई भी आत्महत्या न कर सके। शनिवार को रानी दुर्गावती संग्रहालय कला वीथिका में इस उपकरण का लाइव डेमोस्ट्रेशन दिखाया गया।
डॉ. शर्मा ने कहा कि इस उपकरण के पेटेंट और अन्य कानूनी प्रक्रियाओं के लिए किए गए आवेदन दिया जा चुका है। उन्होंने कहा कि एक सर्वे के अनुसार देश में लगभग 1 लाख 90 हजार लोग हर साल आत्महत्या करते हैं। जबकि प्रदेश में जबलपुर आत्महत्या के मामले में सबसे आगे है, 32 व्यक्ति प्रति लाख जनसंख्या पर। डेमोस्ट्रेशन के दौरान डॉ. शर्मा ने कहा कि आत्महत्या करने का निर्णय भावनात्मक होता है, यदि उस दौरान इसे कुछ समय के लिए टाल दिया जाए तो व्यक्ति का निर्णय बदल जाता है। डेमोस्ट्रेशन के दौरान एडवोकेट रविन्द्र श्रीवास्तव की उपस्थिति भी रही।
एेसे किया अपडेशन
इसी सुसाइड प्रिवेंशन डिवाइस को और अपडेट करते हुए डॉ. शर्मा ने फैन की स्प्रिंग को स्टील शैल से कवर कर दिया है, जिससे आत्महत्या करने वाले व्यक्ति को वह दिखाई न दे। इसके साथ ही इसमें एक सायरन भी कनेक्ट किया है, जो पंखे पर पडऩे वाले लोड के कारण बीप करने लगेगा, जिससे आस-पास के लोग अवेयर हो सकेंगे। इसे और ज्यादा अपडेट करने का प्रयास किया जा रहा है, जिसमें ऑप्टिकल सेंसर के जरिए अलार्म बजते ही निश्चित संबंधी के मोबाइल पर भी अलर्ट अलार्म संदेश दे सके।
इसलिए आया विचार
उपकरण के निर्माण का विचार कब और कैसे आया इस सवाल पर डॉ. शर्मा ने बताया कि उनके पड़ोस में किसी बच्चे ने रिजल्ट बिगडऩे पर सुसाइड का प्रयास किया था। तब उन्होंने सोचा एक चिकित्सक होने के नाते यह फर्ज बनता है कि लोगों को इस अपराध को करने से रोका जाए। बस तभी यह डिवाइस तैयार की।
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