टालने का किया जा रहा प्रयास
सिविल सोसायटी के सचिन अनिल शर्मा ने बताया कि मूल याचिका के साथ ही सप्लीमेंट्री एफीडेविट दाखिल कर न्यायालय के संज्ञान में ये लाया गया है कि सिविल एंक्लेव के लिए जमीन का अधिकांश भाग खरीदा जा चुका है, लेकिन एमओयू के अनुसार जमीन को उपलब्ध करवाने के काम में एक न एक कारण बताकर टालने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। याची के अधिवक्ता की ओर से न्यायालय के संज्ञान में यह भी लाये जाने का प्रयास किया गया है कि नये सिविल एंक्लेव को बनाए जाने के काम को यूहीं लंबित नहीं किया जा रहा है, दरअसल इसके पीछे प्रभावशाली लोगों के द्वारा सरकार में अपनी दखल क्षमता का उपयोग कर एनसीआर में विकसित करवाने के काम में अधिक दिलचस्पी ली जा रही है।
सिविल सोसायटी के सचिन अनिल शर्मा ने बताया कि मूल याचिका के साथ ही सप्लीमेंट्री एफीडेविट दाखिल कर न्यायालय के संज्ञान में ये लाया गया है कि सिविल एंक्लेव के लिए जमीन का अधिकांश भाग खरीदा जा चुका है, लेकिन एमओयू के अनुसार जमीन को उपलब्ध करवाने के काम में एक न एक कारण बताकर टालने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। याची के अधिवक्ता की ओर से न्यायालय के संज्ञान में यह भी लाये जाने का प्रयास किया गया है कि नये सिविल एंक्लेव को बनाए जाने के काम को यूहीं लंबित नहीं किया जा रहा है, दरअसल इसके पीछे प्रभावशाली लोगों के द्वारा सरकार में अपनी दखल क्षमता का उपयोग कर एनसीआर में विकसित करवाने के काम में अधिक दिलचस्पी ली जा रही है।
अधिवक्ता ने दाखिल किया एफीडेविट
सोसायटी के अधिवक्ता के द्वारा एफीडेविट दाखिल करते समय न्यायालय के संज्ञान में यह भी लाया गया है कि जमीन खरीद की स्थिति तब बनी, जबकि सिविल सोसायटी की ओर से 2 अगस्त 2017 को याचिका दाखिल कर भारत सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्रालय और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच 14 फरवरी 2014 के एमओयू को क्रियान्वित करने का मामला उठाया। 14 अगस्त 2017 को शासन के द्वारा 64 करोड़ की राधि अवमुक्त करनी पड़ी। सिविल सोसायटी की ओर से अधिवक्ता अकलंक कुमार जैन ने न्यायालय से अनुरोध किया है कि आगरा सिविल एंक्लेव के लिए दाखिल अपनी याचिका को भी निगरानी याचिका के रूप में स्वीकार किया जाए, जिससे आगरा सिविल एंक्लेव का मामले में कोई लापरवाही न हो सके।
सोसायटी के अधिवक्ता के द्वारा एफीडेविट दाखिल करते समय न्यायालय के संज्ञान में यह भी लाया गया है कि जमीन खरीद की स्थिति तब बनी, जबकि सिविल सोसायटी की ओर से 2 अगस्त 2017 को याचिका दाखिल कर भारत सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्रालय और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच 14 फरवरी 2014 के एमओयू को क्रियान्वित करने का मामला उठाया। 14 अगस्त 2017 को शासन के द्वारा 64 करोड़ की राधि अवमुक्त करनी पड़ी। सिविल सोसायटी की ओर से अधिवक्ता अकलंक कुमार जैन ने न्यायालय से अनुरोध किया है कि आगरा सिविल एंक्लेव के लिए दाखिल अपनी याचिका को भी निगरानी याचिका के रूप में स्वीकार किया जाए, जिससे आगरा सिविल एंक्लेव का मामले में कोई लापरवाही न हो सके।