scriptजाधव मामला: इंटरनेशनल कोर्ट में भारत की बड़ी जीत, अंतिम फैसला आने तक जाधव की फांसी की सजा पर लगाई रोक | International Court of Justice announced final verdict in Kulbhushan Jadhav case, India win Pakistan Lost | Patrika News
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जाधव मामला: इंटरनेशनल कोर्ट में भारत की बड़ी जीत, अंतिम फैसला आने तक जाधव की फांसी की सजा पर लगाई रोक

अंतरर्राष्ट्रीय न्यायालय ने पाकिस्तान की जेल में कैद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की फांसी की सजा पर गुरुवार को रोक लगा दी और पाकिस्तान सरकार को आदेश दिया कि वह उनकी सजा पर रोक लगाने संबंधी कदमों की जानकारी न्यायालय को उपलब्ध कराए।

May 18, 2017 / 04:13 pm

Nakul Devarshi

अंतरर्राष्ट्रीय न्यायालय ने पाकिस्तान की जेल में कैद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की फांसी की सजा पर गुरुवार को रोक लगा दी और पाकिस्तान सरकार को आदेश दिया कि वह उनकी सजा पर रोक लगाने संबंधी कदमों की जानकारी न्यायालय को उपलब्ध कराए। 
हेग स्थित पीस पैलेस में अंतरर्राष्ट्रीय न्यायालय के अध्यक्ष रोनी अब्राहम ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए जाधव को विएना संधि के अनुच्छेद 36 के तहत राजनयिक संपर्क दिए जाने की भारत की अपील को सही ठहराया है और पाकिस्तान की इस दलील को खारिज कर दिया कि जाधव का मामला न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। उसे अपने नागरिक की कानूनी मदद का अधिकार है। दोनों देशों को पता है कि जाधव भारतीय हैं। 
पाकिस्तान का जाधव को जासूस बताने का दावा साबित नहीं होता। आईसीजे ने कहा कि कोर्ट चाहता है कि पाकिस्तान अपनी तरफ से ऐसा कोई भी कदम न उठाए जिसमें दुर्भावना दिखती हो। अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के इस फैसले को भारत की पाकिस्तान पर बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है।
न्यायालय के अध्यक्ष रॉनी अब्राहम ने गुरुवार को अपना सुरक्षित रखा फैसला पढ़कर सुनाया। गौरतलब है कि भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी जिसके खिलाफ भारत ने अंतरर्राष्ट्रीय न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। 
इस पर न्यायालय ने उनकी फांसी की सजा पर अंतरिम रोक लगा दी थी। इसके बाद भारत और पाकिस्तान की ओर से न्यायालय में अपना अपना पक्ष रखा गया था। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था। 
ये थी भारत की दलील 

भारत ने अपना पक्ष रखते हुए आशंका जताई थी कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में सुनवाई पूरी होने से पहले ही जाधव को फांसी दे सकता है इसलिए सैन्य अदालत के फैसले पर तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए। 
ये था पाकिस्तान का तर्क 

पाकिस्तान ने तर्क दिया कि यह उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला है और यह वियना संधि के अंतर्गत नहीं आता है। न्यायालय इस पर सुनवाई नहीं कर सकता। 
साल्वे ने रखा भारत का पक्ष 

जाने माने अधिवक्ता एवं पूर्व सॉलिसीटर जनरल हरीश साल्वे ने भारत का पक्ष रखते हुए कहा था कि जाधव के मामले में पाकिस्तान ने वियना संधि में राजनयिक संपर्क के प्रावधान वाले अनुच्छेद 36 का उल्लंघन किया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सैन्य अदालत द्वारा कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा सुनाया जाना वियना संधि के अनुच्छेद 36 के तहत अधिकारों का उल्लंघन है। 
जाधव को बिना राजनयिक संपर्क का मौका दिए गिरफ्तार कर रखा गया है और अब उन पर फांसी की तलवार लटक रही है। भारत का कहना था कि जाधव को ईरान से अपहृत करके पाकिस्तान ले जाया गया और पाकिस्तान का यह दावा गलत है कि उन्हें बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया गया है। पाकिस्तान ने सैन्य अदालत में चलाये गए मुकदमे के कोई भी दस्तावेज भारत को नहीं सौंपे हैं। उसकी यह पूरी कार्रवाई ढोंग है। 
साल्वे ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय से अनुरोध किया कि ऐसे सभी आवश्यक कदम उठाए जाएं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पाकिस्तान इस याचिका का निपटारा होने तक जाधव को फांसी नहीं दे। उन्होंने दलील दी कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की नियमावली में अनुच्छेद 74 के अंतर्गत किसी देश को दिए गए अंतरिम निर्देश बाध्यकारी होते हैं और सभी देशों को उसे मानना होता है। 
विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव एवं भारत के अधिवक्ता दल का नेतृत्व कर रहे दीपक मित्तल ने कहा कि जाधव को उचित कानूनी सहायता हासिल करने और राजनयिक संपर्क का अधिकार भी नहीं दिया गया। पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने 46 वर्षीय जाधव पर जासूसी का आरोप लगाकर उन्हें मौत की सजा सुनाई है।

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