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भीड़ द्वारा हिंसा पर बोले राष्ट्रपति- क्या हम देश की बुनियादी सिद्धांतों की रक्षा के लिए सतर्क हैं

राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्हें याद दिलाया कि उनका काम कभी खत्म नहीं होगा। साथ ही उनका उद्देश्य सर्वप्रथम आजादी, आज आजादी, हमेशा आजादी होनी चाहिए।

Jul 01, 2017 / 11:10 pm

पुनीत कुमार

Pranab Mukherjee

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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने हिंसा की हाल की घटनाओं के खिलाफ आवाज उठाते हुए शनिवार को प्रशासन से पूछा कि क्या हम अपने देश के बुनियादी सिद्धांतों की रक्षा के लिए सक्रिय रूप से पर्याप्त सतर्क हैं। उन्होंने यह भी कहा कि नागरिकों, बुद्धिजीवियों और मीडिया की सतर्कता अंधी और प्रतिगामी ताकतों के खिलाफ सबसे बड़े प्रतिरोध के रूप में काम कर सकती है।
कांग्रेस पार्टी के मुखपत्र नेशनल हेराल्ड के स्मारक प्रकाशन को लांच करते हुए मुखर्जी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्हें याद दिलाया कि उनका काम कभी खत्म नहीं होगा। साथ ही उनका उद्देश्य सर्वप्रथम आजादी, आज आजादी, हमेशा आजादी होनी चाहिए। राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि हमें सोचना होगा, रुकना होगा और विचार करना होगा। हम जब अखबार में पढ़ते हैं या टेलीविजन में देखते हैं कि किसी व्यक्ति की हत्या किसी कानून के कथित उल्लंघन के लिए की जा रही है या नहीं, जब भीड़ इतनी पागल और अनियंत्रित हो जाए, तो हम रुकें और विचार करें।
https://twitter.com/ANI_news/status/881153999893798913
साथ ही उन्होंने कहा कि क्या हम पर्याप्त रूप से सतर्क हैं? मैं अतिसतर्कता की बात नहीं कर रहा, मैं यह कह रहा हूं कि क्या हम देश के बुनियादी सिद्धांतों की रक्षा के लिए पर्याप्त रूप से सतर्क हैं? हम इसे दरकिनार नहीं कर सकते। भावी पीढ़ी हमसे जवाब मांगेगी कि आपने क्या किया है। उनका कहना कि आज मैं यह नहीं कह रहा कि कोई पुराने तरह के उपनिवेशवाद की वापसी की कोई चिंता है। लेकिन उपनिवेशवाद ने इतिहास में बदलाव, शोषणा, एक सत्ता से दूसरी सत्ता के प्रभुत्व के साथ हमेशा अपना अलग रूप अख्तियार किया है।
इस दौरान राष्ट्रपति ने पत्रकारों से अपील करते हुए कहा कि आप का कर्तव्य, आपका काम कभी खत्म नहीं होना है, और इसका अंत कभी नहीं होगा। आपके कारण लोकतंत्र जिंदा है, लोगों के अधिकार संरक्षित हैं, मानव मर्यादा बची हुई है, गुलामी समाप्त हुई है। आपको सतर्क बने रहना होगा… मुझे दुख है कि मैं इस शब्द का बार-बार इस्तेमाल कर रहा हूं, लेकिन मुझे इसके अलावा और कोई शब्द नहीं मिल रहा है। 

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