scriptभूख के खिलाफ युद्ध छेड़ने वाले पूरन डावर के बारे में ये बातें आप शायद ही जानते हों | Inspirational motivational story of purna dawar shoes expoter news | Patrika News

भूख के खिलाफ युद्ध छेड़ने वाले पूरन डावर के बारे में ये बातें आप शायद ही जानते हों

locationआगराPublished: Sep 29, 2018 09:58:47 am

Submitted by:

Bhanu Pratap

आगरा फुटवियर मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्पोर्टर्स चैम्बर (एफमैक) के संस्थापक पूरन डावर ने भूख के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है।

puran dawar

puran dawar

आगरा। आगरा की तरक्की और विकास के लिए कार्य कर रही संस्था आगरा डवलपमेंट फाउंडेशन (एडीएफ) और आगरा फुटवियर मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्पोर्टर्स चैम्बर (एफमैक) के संस्थापक पूरन डावर ने भूख के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है। प्रथम चरण में वे आगरा से 10 रुपये में भरपेट भोजन उपलब्ध कराएंगे। फिर धीरे-धीरे इसे बिलकुल मुफ्त करेंगे। आगरा से शुरू हुआ यह अभियान पूरे देश में चलेगा। इसकी व्यापक तैयारी की जा रही है। हम आपको बता रहे हैं पूरन डावर के बारे में ऐसी बातें जो आप शायद ही जानते हों।
यह भी पढ़ें

यूपी के इस शहर से शुरू हो रहा है ‘भूख के खिलाफ युद्ध’, पूरे देश में चलेगा अभियान, देखें वीडियो

भूख का अहसास, मजदूरी तक की

1947 में भारत विभाजन के बाद पूरन डावर का परिवार आगरा आया। मलपुरा कैम्प में शरण ली। शरणार्थी थे। यहां अपना कुछ भी नहीं था। फिर शुरुआत हुई लम्बे संघर्ष और जद्दोजहद की। उस समय बहुत छोटे थे, लेकिन अपने परिजनों को संघर्ष करता देख रहे थे। भूख से तो रोज ही संघर्ष हो रहा था। पूरन डावर को याद है कि वर्षों तक रोजाना भरपेट भोजन नहीं मिलता था। तब उन्होंने समझा कि भूख का दर्द क्या होता है? परिवार के सदस्यों के साथ कपड़े सिलने का काम शुरू किया। दूध बेचा। मजदूरी की। कोयला बेचना का काम किया। उस समय भूख मिटाने के लिए कोई काम छोटा नहीं था।
यह भी पढ़ें

कार वाला भी 10 रुपये में कर सकता है भोजन, देखें वीडियो

puran dawar
जूतों का कारखाना स्थापित किया

नौकरी और छोटे-मोटे कारोबार के बीच पूरन डावर ने अध्ययन जारी रखा। अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर और कानून की डिग्री हासिल की। जूतों की खुदरा दुकानदारी की। फिर जूता बनाने का कारखाने डालने का निश्चय किया। तमाम झंझावातों के बीच कारखाना स्थापित किया। इसमें अत्यधिक विलम्ब हुआ क्योंकि नौकरशाही को एक पैसे की भी रिश्वत न देने का संकल्प लिया हुआ था। जूतों का निर्यात शुरू किया और किस्मत बदल गई।
यह भी पढ़ें

वीडियो: विश्व के क्षितिज पर लिया जाएगा इस जिले के छोटे से गांव का नाम, पढ़िए क्या है पूरा मामला

भूख का अहसास आज भी

जूता निर्यात क्षेत्र में पहचान बनाने के बाद पूरन डावर को याद आया अपना 1947 के बाद का संघर्ष और रोटी के लिए अकुलाहट। इसके साथ ही समाज के निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति के उत्थान, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य और खूलकूद पर ध्यान दिया। सक्षम डावर मेमोरियल ट्र्स्ट के जरिए ये काम किए जा रहे हैं। डावर शूज फैक्ट्री के जरूरतमंद कर्मचारियों के बच्चों की स्कूल फीस ट्रस्ट भरता है। इस समय वे एमएसएमई के नेशनल बोर्ड के सदस्य हैं। पूरन डावर के लिए आ जीवन आरामदायक और मस्ती भरा है, लेकिन भूख का अहसास आज भी है।
यह भी पढ़ें

यहां महात्मा गांधी की घड़ी, चश्मे, चरखा आज भी सुरक्षित, देखें वीडियो

puran dawar
क्या है योजनाएं

मिशन भोजन सबके लिए के तहत 10 रुपये की थाली सबके लिए है। साथ ही 100 रुपये की थाली भी शुरू की जानी है। इस थाली से जो बचत होगी, उससे पांच लोगों का पेट भरेगा। बस अड्डों, रेलवे स्टेशन, कॉलेज, सराकरी दफ्तर और पर्यटक स्थलों पर 50 रुपये की थाली उपलब्ध कराई जाएगी। इससे जो बचत होगी, उससे मुफ्त भोजन वितरण की योजना है। 100 रुपये और 50 रुपये की थाली से ‘मिशन भोजन सबके लिए’ अपने पैरों पर खड़ा होगा और सदैव चलता रहेगा।
यह भी पढ़ें

विश्व की सबसे खूबसूरत इमारत ताजमहल के शहर आगरा में दो दिन भी नहीं रुकते पर्यटक, जानिये क्या है कारण

puran dawar
कैसे बना ट्रस्ट

पूरन डावर ने सक्षम डावर मेमोरियल ट्रस्ट की स्थापना 1998 में अपने पुत्र सक्षम की स्मृति में की थी। सक्षम की मृत्यु नौ साल की उम्र में एक दुर्घटना मे हो गई थी। यह ट्रस्ट अब एक लाइट हाउस की तरह है, जो सबको राह दिखा रहा है। इसी के तहत भोजन सबके लिए परियोजना शुरू की गई है, जो आगरा, उत्तर प्रदेश के बाद पूरे देश में चलेगी। उद्घाटन 17 अक्टूबर, 2018 को होगा।
यह भी पढ़ें

योगी के इस मंत्री ने राम मंदिर को बताया ‘मुद्दा’, 2019 चुनाव को लेकर दिया बड़ा बयान, देखें वीडियो

समाज का सहयोग

पूरन डावर कहते हैं- जाके पैर न फटी बिवाई वो क्या जाने पीर पराई। जिसने गरीबी देखी है, वही गरीबों के दर्द का इलाज कर सकता है। भूखे व्यक्ति के लिए सबसे बड़ा धर्म रोटी है। किसी भी सरकार के सहारे भूख को नहीं मिटाया जा सकता है। यह कार्य समाज को ही करना है। इसी कारण सेवा भारती के साथ ट्रस्ट ने इस कार्य को करने का संकल्फ लिया है। हर कोई इस मिशन से जुड़ने के लिए आतुर है। स्वामी विवेकानंद, पं. दीनदयाल उपाध्याय और महात्मा गांधी ने गरीबों की सेवा का आह्वान किया था, जिसका हम अनुसरण कर र रहे हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो