ये बोले चिकित्सक
डॉ. प्रवीन चंद्रा ने बताया कि नई तकनीक के तहत एंजियोग्राफी के बाद पता चल जाता है कि रोगी के ह्रदय की स्थिति क्या है। इसके बाद ह्रदय के उसी भाग का उपचार किया जाता है। खास बात ये है कि नई तकनीक में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। मेदांता से आए वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. नीरज गुप्ता ने भी नई तकनीक, जीवन रक्षक प्रणाली, एफएसआर, नई दवाओं के प्रयोग की उपयोगिता पर विस्तार से प्रकाश डाला।
वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. वीरेन्द्र कौशल, डॉ. एसके कालरा, डॉ. राजीव किशोर, डॉ. एमसी गुप्ता, डॉ. तरुण सिंघल, प्रो. आईवी अनेजा, डॉ. सुनील बंसल, डॉ. शरद पालीवाल आदि ने नई तकनीक के माध्यम से मेटावलिक क्लीनिक की शुरुआत करने पर जोर दिया।