24 जनवरी 2018 को दी गई थी चुनौती
सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल मस्जिद प्रबंधन समिति के अध्यक्ष इब्राहीम हुसैन जैदी की आगरा प्रशासन के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को 9 जुलाई, 2018 को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति एके सिकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि ताजमहल दुनिया के सात अजूबों में से एक है और लोग दूसरी मस्जिदों में भी नमाज पढ़ सकते हैं। इब्राहीम हुसैन जैदी ने अपनी याचिका में आगरा प्रशासन के 24 जनवरी, 2018 के आदेश को चुनौती दी थी। इस आदेश में कहा गया था कि सुरक्षा कारणों से आगरा के बाहर के निवासियों को ताजमहल परिसर में स्थित मस्जिद में जुमे की नमाज में शामिल होने की अनुमति नहीं होगी।
याचिकाकर्ता इब्राहीम हुसैन जैदी का कहना था कि पूरे साल अनेक पर्यटक आगरा आते हैं और उन्हें ताजमहल के अंदर स्थित मस्जिद में नमाज पढ़ने से रोकने का अतिरिक्त जिलाधीश का आदेश मनमाना और गैरकानूनी है। सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने सवाल किया, ‘‘इस नमाज के लिये उन्हें ताजमहल में ही क्यों जाना चाहिए, और भी दूसरी मस्जिदें हैं, वे वहां नमाज पढ़ सकते हैं।
ताजमहल परिसर स्थित मस्जिद में हर शुक्रवार को नमाज अता की जाती है। इस दिन ताजमहल बंद रहता है। कुछ हिन्दूवादी संगठनों ने इसका विरोध किया था। स्थानीय लोगों के यहां नमाज पढ़ने पर कोई रोक नहीं है, लेकिन आगरा प्रशासन ने बाहरी व्यक्तियों के नमाज पढ़ने पर रोक लगा दी थी। इसके बाद इस आदेश को चुनौती दी गई थी।