अब आप भी देख सकेंगे पुत्र देवदास को महात्मा गांधी की ओर से लिखे अमूल्य पत्र
Ahmedabad, Mahatma Gandhi, devdas, letters, sabarmati ashram पिता-पुत्र के बीच के संवाद को पौत्र गोपालकृष्ण ने किया सार्वजनिक, साबरमती आश्रम प्रिजर्वेशन एंड मेमोरियल ट्रस्ट को सौंपे

अहमदाबाद. महात्मा गांधी की ओर से लिखित हजारों पत्र यूं तो लोगों ने अब तक देखे और पढ़ें हैं लेकिन अब पिता-पुत्र (महात्मा गांधी-देवदास) के बीच हुए पत्र व्यवहार को भी लोग देख और पढ़ सकेंगे। महात्मा गांधी की ओर से सबसे छोटे पुत्र देवदास गांधी को वर्ष १९२०-१९४८ के दौरान लिखे गए और अब तक सामने न आए ऐसे अमूल्य १९० पत्रों सहित ५५० पत्रों को उनके पौत्र गोपालकृष्ण गांधी ने सार्वजनिक किया है। इन्हें गोपालकृष्ण ने अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम प्रिजर्वेशन एंड मेमोरियल ट्रस्ट को सौंपा है। जहां इन्हें संरक्षित करके रखा जाएगा। जिसे लोग देख सकेंगे।
ट्रस्ट के प्रतिनिधि मंडल ने गोपालकृष्ण के चेन्नई स्थित निवास स्थल पर जाकर रूबरू प्राप्त भी कर लिया है। इन पत्रों की खाशियत यह है कि यह गांधी की ओर से लिखे गए असली पत्र तो हैं ही साथ ही इसमें देवदास गांधी की ओर से इन पत्रों पर लिखे भाव भी अंकित हैं। इन्हें पुस्तक के रूप में भी लोगों को जल्द ही अंग्रेजी और गुजराती भाषा में भी पढऩे का मौका मिलेगा।
मां कस्तूरबा का लिखा पत्र भी सौंपा
-मां कस्तूरबा गांधी की ओर से पुत्र देवदास को लिखा पत्र।
-महात्मा गांधी ने १९२४ में हिंदू-मुसलमान एकता के लिए 21 दिन उपवास किया था। उस समय वह रोज देवदास को पत्र लिखते थे। वह सभी पत्र।
-महात्मा गांधी, महादेव देसाई, सरदार पटेल 1932 में यरवडा जेल में साथ में थे। तब देवदास गोरखपुर जेल में थे, उस समय गांधी की ओर से देवदास को लिखे पत्र।
-यरवडा जेल में सरदार पटेल उपयोग हो चुके कागजों से लिफाफा (एनवलप) बनाते थे। उन लिफाफों में रखकर महात्मा गांधी देवदास को पत्र भेजते थे। वह लिफाफे और पत्र दोनों शामिल हैं।
-सरदार पटेल की ओर से देवदास के विवाह के संबंध में लिखा पत्र।
-द्वितीय राउंड टेबल परिषद के लिए गांधीजी १९३१ में ब्रिटन गए थे। उनके साथ महादेव देसाई व देवदास भी गए थे। गांधीजी की मुलाकातों (अपोइन्टमेंट) की एक डायरी थी जिसमें गांधीजी की बैठकों के बारे में महादेव देसाई के साथ देवदास भी नोंध करते थे। वह डायरी भी सौंपी है।
पिता देवदास की अंतिम इच्छा भी की पूरी
देवदास को गांधी की ओर से लिखे गए पत्रों को उन्होंने संभाल कर रखा था। उन पर उन्होंने अपने भाव भी लिखे थे और वे इन पत्रों और भावों को एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित करना चाहते थे, लेकिन उनकी यह इच्छा अधूरी रह गई। उसे उनके पुत्र गोपालकृष्ण गांधी ने पूरा किया है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस (इंडिया) की ओर से अंग्रेजी में और नवजीवन प्रकाशन मंदिर की ओर से गुजराती में पुस्तक के रूप में प्रकाशित करवा रहे हैं। प्रोफेसर त्रिदीप सुहृुद ने इन पत्रों का अनुवाद किया है। पुस्तक का काम पूरा होने पर गोपालकृष्ण ने इन पत्रों को साबरमती आश्रम को सौंप दिया।

अब पाइए अपने शहर ( Ahmedabad News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज