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अहमदाबाद

पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट 22 साल पुराने मामले में गिरफ्तार

वर्ष १९९६ में वकील पर एनडीपीएस का फर्जी केस करने का मामला, सीआईडी क्राइम ने तत्कालीन पीआई व्यास को भी पकड़ा

अहमदाबादSep 05, 2018 / 10:32 pm

nagendra singh rathore

sanjeev bhatt

पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट 22 साल पुराने मामले में गिरफ्तार

अहमदाबाद. पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को 22 साल पुराने एक मामले में सीआईडी क्राइम ने बुधवार को गिरफ्तार कर लिया। उनके साथ इस मामले में तत्कालीन पीआई एवं सेवानिवृत्त पुलिस उपाधीक्षक आई.बी.व्यास को भी गिरफ्तार किया गया है।
मामला वर्ष १९९६ का है। उस समय संजीव भट्ट बनासकांठा के पुलिस अधीक्षक थे। ३० अप्रेल १९९६ में पालनपुर थाने में दर्ज एनडीपीएस के फर्जी केस मामले में दोनों ही पूर्व पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी की गई है।
मामले को फर्जी करार देते हुए पीडि़त एवं राजस्थान के वकील सुमेर सिंह राजपुरोहित की ओर से वर्ष १९९८ में दायर याचिका पर गुजरात हाईकोर्ट ने तीन अप्रेल २०१८ को फैसला सुनाते हुए सीआईडी क्राइम को तीन महीने में जांच पूर्ण करने के निर्देश दिए थे। जिस पर सीआईडी क्राइम ने विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है।
एसआईटी के मुखिया एडीजीपी अजय तोमर ने बुधवार को संवाददाताओं को बताया कि इस मामले की जांच करने के दौरान सामने आया कि तत्कालीन बनासकांठा एसपी संजीव भट्ट और तत्कालीन (स्थानीय अपराध शाखा) एलसीबी पीआई आई.बी.व्यास ने राजस्थान के पाली जिले के वद्र्धमान मार्केट में स्थित एक दुकान को खाली कराने के लिए तत्कालीन दुकान के कब्जाधारक पाली बापूनगर निवासी वकील सुमेर सिंह राजपुरोहित पर एनडीपीएस का फर्जी केस पालनपुर थाने में ३० अप्रेल १९९६ को दर्ज किया था। इस मामले में सुमेर सिंह की कुछ दिनों बाद ही तीन मई १९९६ को गिरफ्तारी भी की थी।
फर्जी केस दर्ज करने की बात जांच में सामने आने पर तत्कालीन एसपी संजीव भट्ट और तत्कालीन एलसीबी पीआई आई.बी.व्यास दोनों की गिरफ्तारी की गई है। एसआईटी में डीआईजी दीपांकर त्रिवेदी और जांच अधिकारी एसपी वीरेन्द्र यादव शामिल हैं।
गिरफ्तारी से पहले संजीव भट्ट, आई.बी.व्यास सहित करीब सात लोगों को गांधीनगर पुलिस भवन स्थित सीआईडी क्राइम मुख्यालय लाया गया था। यहां सभी से पूछताछ की गई थी।
आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को वर्ष २०१५ में केन्द्र सरकार की ओर से बर्खास्त किया जा चुका है।
दुकान खाली कराने को फर्जी केस, गिरफ्तारी भी!
मामले के अनुसार ३० अप्रेल १९९६ को जिला पुलिस कंट्रोलरूम में एक अज्ञात व्यक्ति ने फोन करके सूचना दी कि ‘सुमेर सिंह राजपुरोहित जो कि अफीम का धंधा करता है वह कल से पांच किलोग्राम अफीम लेकर पालनपुर के होटल लाजवंती में ठहरा हुआ है। वह पालनपुर में अफीम की डिलिवरी देने वाला है।’ सूचना मिलने पर इसकी लिखित जानकारी तत्कालीन एलसीबी पीआई आई.बी.व्यास को दी गई और उन्होंने अपनी टीम के साथ उसी दिन लाजवंती होटल के कमरा नंबर ३०५ में दबिश दी। वहां कोई व्यक्ति उपस्थित नहीं मिला, लेकिन एक किलो १५ ग्राम अफीम बरामद हुई। जिस पर पालनपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज की।
इसी मामले में बात में तीन मई १९९६ को सुमेरसिंह राजपुरोहति की पाली में बापूनगर स्थित उनके घर से गिरफ्तारी की गई। १४ दिनों की रिमांड की मांग करते हुए सात दिनों का रिमांड लिया था। इस दौरान वकील के दुकान खाली कर देने की तैयारी बताने पर छह मई १९९६ को पीआई की ओर से कोर्ट में पेश किया। जहां कोर्ट से वकील को जमानत मिल गई। दुकान खाली हो जाने पर पुलिस ने इस मामले में पालनपुर कोर्ट में ए समरी भरते हुए केस बंद भी कर दिया।
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