DFSS, Central Forensic laboratory, GFSU, Mou, Forensic Psychology, Training, Research डीएफएसएस और जीएफएसयू मिलकर करेंगे शोध, तकनीक का आदान-प्रदान, पांच सदस्यीय क्रियान्वयन समिति होगी गठित
अहमदाबाद. अपराध अन्वेषण में जांच एजेंसियों के लिए मददगार होने वालीं केन्द्रीय फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (केन्द्रीय एफएसएल) को फोरेंसिक साइकोलॉजी के क्षेत्र में और भी ज्यादा बेहतर बनाने की दिशा में गृह मंत्रालय ने कदम उठाए हैं।
गृह मंत्रालय के डायरेक्टरेट ऑफ फोरेंसिक साइंस सर्विस (डीएफएसएस) ने इसके लिए गांधीनगर में स्थित गुजरात फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी (
जीएफएसयू) के साथ हाथ मिलाया है।
जीएफएसयू के इंस्टीट्यूट ऑफ बिहेवियरल साइंस (आईबीएस-व्यवहार विज्ञान संस्थान) के साथ मिलकर डीएफएसएस की सभी छह केन्द्रीय फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी-चंडीगढ़, हैदराबाद, कोलकाता, भोपाल, पूणे और गुवाहाटी में फोरेंसिक साइकोलॉजी के जरिए जांच की सुविधा को बेहतर बनाने का निर्णय किया है। इसके लिए जीएफएसयू के आईबीएस की मदद से सभी फोरेंसिक एक्सपर्ट को न्यूरोकॉग्नेटिव साइकोलॉजी, फोरेंसिक साइकोलॉजी एवं उससे जुड़ी तकनीक व पद्धति का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके जरिए किस प्रकार जांच को और बेहतर बनाया जा सकता है, उसके गुर सिखाए जाएंगे।
जीएफएसयू के कुलसचिव सी.जी. जाड़ेजा ने बताया कि दोनों ही संस्थान मिलकर अपराधियों के व्यवहार को समझने के लिए शोध भी करेंगे ताकि अपराध अन्वेषण में जांच एजेंसियों की बेहतर तरीके से मदद की जा सके, आरोपियों के विरुद्ध सबूत भी जुटाए जा सकें। सभी छह केन्द्रीय एफएसएल में फोरेंसिक साइकोलॉजी विभाग को मजबूत करने और विशेषज्ञों को प्रशिक्षण देने एवं जांच के गुर सिखाने में जीएफएसयू का आईबीएस मददगार होगा।
डीएफएसएस की ओर से निदेशक एवं चीफ फोरेंसिक साइंटिस्ट डॉ. एस.के.जैन और जीएफएसयू की ओर से आईबीएस के निदेशक डॉ. के.के. त्रिपाठी ने इस समझौते पर हाल ही में गांधीनगर में हस्ताक्षर किए।
इस एमओयू के क्रियान्वयन के लिए एक समिति भी गठित करने का निर्णय हुआ है। जिसमें डीएफएसएस के निदेशक, जांच एजेंसी का एक आईजीपी रैंक का अधिकारी, आईआईटी, डीआरडीओ, सीएसआईआर, जीएफएसयू के दो विषय विशेषज्ञ, जीएफएसयू के आईबीएस के दो प्रतिनिधि सदस्य शामिल होंगे। इस दौरान जीएफएसयू के महानिदेशक डॉ. जे.एम. व्यास व अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।
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