ये बैलेस्टिक आर्मर मटीरियल्स टेस्टिंग रेंज व रिसर्च सेंटर १५० फुट लंबा, ५० फुट चौड़ा और ३० से ३५ फुट ऊंचा व साउंड प्रूफ है। विश्वभर के नाटो, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ जस्टिस एंड एडवांस बेलेस्टिक्स टेक्नोलॉजी सेंटर्स में अपनाए जाने वाले सभी अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप यहां जांच की सुविधा सुनिश्चित की गई है।
-डॉ.जे.एम.व्यास, महानिदेशक, जीएफएसयू
यहां बैलेस्टिक जांच किस प्रकार से की जा जाती है,उसे जांच कराने वाली एजेंसी, कंपनी के व्यक्ति यदि देखना चाहते हैं तो जांच के दौरान बैठकर वे उसे देख सकते हैं। सैंपल भी चाहें तो वापस ले जा सकते हैं।
-एस.जी.खंडेलवाल, प्रमुख, बैलेस्टिक टेस्टिंग रेंज, जीएफएसयू
रेंज में यूं तो जैकेट, हेलमेट, स्टील, ग्लास, पटका और आर्मर वाहन व टायर की बुलेटप्रूफ होने से जुड़ी जांच और उसका सर्टिफिकेशन किया जाता है। लेकिन जांच के लिए आने वाले सैंपलों में करीब ६५ से ७० फीसदी तक जैकेट ही होते हैं। फिर स्टील और फिर ग्लास व हेलमेट।
-सौरभ कुमार, साइंटिफिक ऑफिसर, बैलेस्टिक टेस्टिंग रेंज