उन्होंने कहा कि कमलम फ्रूट कई औषधियों गुणों से भरपूर है। कोरोनाकाल में भी चिकित्सकों ने इस फ्रूट के सेवन की सलाह दी है। ऐसे में राज्य के किसानों को ज्यादा से ज्यादा इस फ्रूट का उत्पादन करने के लिए कमलम फ्रूट महोत्सव प्रेरणादायक बनेगा। इस फ्रूट की पैदावार बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने प्रति हेक्टेयर 1.25 लाख रुपए की वित्तीय सहायता देकर प्रोत्साहित कर रही है। इसके चलते ही राज्य के 25 जिलों में 1200 हेक्टेयर में इस फ्रूट की पैदावार हो रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2022 तक देश के किसानों की आवक दोगुना करने का लक्ष्य रखा है, जो सभी के प्रयासों से संभव हो सकेगा। राज्य के किसानों को उनकी कृषि पैदावार के बेहतर दाम मुहैया कराने के लिए राज्य में 250 से ज्यादा एपीएमसी कार्यरत हैं।
खाड़ी देशों में हैं ‘कमलमÓ की मांग गुजरात एग्रो इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक महेशसिंह ने बताया कि राज्य के 25 जिलों के साथ 12०० हेक्टेयर भूमि में इसकी पैदावार हो रही है। खाड़ी देशों में इस फल की खासी मांग है। हाल ही में गुजरात से खाड़ी देशों और लंदन में भी निर्यात किया गया है। उन्होंने बताया कि ‘कमलमÓ के पोषकतत्वों और औषधीय गुणों के कारण कोरोना महामारी में इस फल की मांग देश और दुनिया में बढ़ी है। गुजरात के कच्छ, जामनगर, बनासकांठा, साबरकांठा और राजकोट जिलों में इस फल की पैदावार की जा रही हैं। यह कैकटस प्रजाति का फल है, जिसकी मुख्यत: वियेतनाम, थाईलैण्ड, मलेशिया एवं श्रीलंका में पैदावार होती है। भारत में गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में किसान पैदावार कर रहे है।