कोरोना लॉकडाउन के कारण केंद्रीय और राज्यों के विश्वविद्यालयों, आईआईटी, आईआईएम, इंजीनियरिंग, मेडिकल और कई संस्थानों की सेमेस्टर और वार्षिक परीक्षाएं अटक गई हैं। विश्वविद्यालयों-कॉलेज में पढ़ाई भी नहीं हो रही। हालांकि यूजीसी के निर्देश पर ऑनलाइन कक्षाएं, ई-कंटेंट से पढ़ाई शुरू हुई है, लेकिन देश के ग्रामीण स्तर तक ऑनलाइन पढ़ाई की पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं।
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तय करें एकेडेमिक कलैंडरमानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ने यूजीसी को केंद्रीय और राज्यों के विश्वविद्यालयों के एकेडेमिक कलैंडर की समीक्षा और नए कलैंडर पर चर्चा करने को कहा है। इसमें खासतौर पर स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर के कोर्स, सेमेस्टर की अवधि, परीक्षाएं और प्रवेश की समीक्षा शुरू की गई है।
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ये हैं विश्वविद्यालयों-कॉलेज की चुनौतियां-सेमेस्टर परीक्षाएं के साथ प्रायोगिक परीक्षाएं भी हैं जरूरी
-शोधार्थियों को नहीं मिल रही रिसर्च लैब
-जनवरी/फरवरी से शुरू हुए सेमेस्टर की परीक्षाओं का टाइम टेबल
-वार्षिक परीक्षाओं की अवधि बढ़ाएं तो नए सत्र पर क्या असर?
ई-कंटेंट और ऑनलाइन शिक्षा पर जोर
यूजीसी ने संस्थानों को ई-कंटेंट और ऑनलाइन शिक्षण पर जोर देने को कहा है। शहरी स्तर तो वर्चुअल क्लास, ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हो गई है। ग्रामीण छात्र-छात्राओं तक उसका सीधा लाभ नहीं मिल रहा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से भी संपर्क किया है। ग्रामीण इलाकों के लिए दूरदर्शन और ऑन एयर चैनल पर ई-क्लासरूम, ऑनलाइन पढ़ाई शुरू करने की भी योजना बनाई गई है।
यूजीसी ने संस्थानों को ई-कंटेंट और ऑनलाइन शिक्षण पर जोर देने को कहा है। शहरी स्तर तो वर्चुअल क्लास, ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हो गई है। ग्रामीण छात्र-छात्राओं तक उसका सीधा लाभ नहीं मिल रहा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से भी संपर्क किया है। ग्रामीण इलाकों के लिए दूरदर्शन और ऑन एयर चैनल पर ई-क्लासरूम, ऑनलाइन पढ़ाई शुरू करने की भी योजना बनाई गई है।
यूजीसी की कमेटी मौजूदा शैक्षिक स्थिति और आगामी योजनाओं का आकलन कर रही है। केंद्रीय और राज्यों के विश्वविद्यालयों के एकेडेमिक कलैंडर के साथ-साथ विद्यार्थियों की पढ़ाई-परीक्षा कैसे बेहतर हों यह जरूरी है। विद्यार्थियों तक कोर्स और ई-कंटेंट का लाभ पहुंचे यह सुनिश्चित किया जाएगा।
प्रो. धीरेंद्रपाल सिंह, चेयरमेन यूजीसी