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Devnani said: अजमेर को चाहिए साइंस पार्क, सरकार को नहीं है परवाह

2018 में हुआ था शिलान्यास। 17 महीने से नहीं शुरु हुआ है काम।

अजमेरFeb 25, 2020 / 09:01 am

raktim tiwari

science park in ajmer

science park in ajmer

अजमेर.

पंचशील स्थित साइंस पार्क का कामकाज 17 महीने से शुरू नहीं हो पाया है। सरकार ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत 50 फीसदी राशि नहीं सौंपी है। सरकार जानबूझकर अजमेर से सौतेला व्यवहार कर रही है। यह बात विधायक वासुदेव देवनानी ने विधासनभा में कही।
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नियम 295 के अन्तर्गत मामला उठाते हुए देवनानी ने कहा कि केंद्र सरकार ने अजमेर में साइंस पार्क निर्माण को मंजूरी दी। तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी ने 9 सितम्बर 2018 को शिलान्यास किया। इसके बाद 17 महीने बीत चुके हैं। इसके बावजूद विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने पार्क निर्माण कार्य प्रारम्भ नहीं किया है।
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प्रोजेक्ट की लागत 15.20 करोड़ है। इसमें केंद्र और राज्य को 50-50 फीसदी राशि देनी है। राज्य सरकार ने 50 फीसदी राशि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को नहीं सौंपी है। ऐसी स्थिति में अजमेर शहर और जिले के विद्यार्थी और शोधार्थी ज्ञानवद्र्धक पार्क से वंचित हैं।
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अजमेर. स्नातक और स्नातकोत्तर कॉलेज की प्रवेश नीति में अहम बदलाव हो सकता है। यह बदलाव जम्मू-कश्मीर के विद्यार्थियों से जुड़ा है। उन्हें दाखिलों में आरक्षण का लाभ दिया जाए या नहीं इसको लेकर सरकार और उच्च शिक्षा विभाग में चर्चा शुरू हो गई है।
राज्य के कॉलेज में प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष सहित स्नातकोत्तर कक्षाओं में दाखिले के लिए उच्च शिक्षा विभाग प्रतिवर्ष प्रवेश नीति जारी करता है। दाखिलों के लिए सामान्य, ओबीसी, एमबीसी, अर्थिक पिछड़ा वर्ग, एससी-एसटी वर्ग, शहीद सैनिक, राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाडिय़ों, कश्मीरी विस्थापित एवं सामान्य कश्मीरी विद्यार्थियों और अन्य संवर्ग में आरक्षण प्रावधान लागू है। इसके अनुरूप विद्यार्थियों को प्रवेश मिलते हैं।
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कश्मीरी विद्यार्थियों को एक प्रतिशत आरक्षण
प्रवेश नीति में जम्मू-कश्मीर के विस्थापित और निवासियों के लिए एक प्रतिशत आरक्षण रखा गया है। इसके अनुसार उन्हें कला, वाणिज्य, विज्ञान और अन्य संकाय में प्रवेश मिलते हैं। इस कोटे से कोई सीट नहीं भरने इन सीट पर सामान्य विद्यार्थियों को प्रवेश दिए जाते हैं।

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