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अजमेर

हिंदुस्तान में अल्पसंख्यक सुखी, पाकिस्तान में मुस्लिम बहुसंख्यक भी दुखी

इंद्रेश कुमार ने कहा सीएए एनआरसी नहीं है देश के खिलाफ।

अजमेरFeb 24, 2020 / 08:46 am

raktim tiwari

indresh kumar

indresh kumar

अजमेर.

हिंदुस्तान में बोलने-चालने, विरोध जताने के बावजूद बरसों से अल्पसंख्यक सुखी और समृद्ध हैं। जबकि बटंवारे की बुनियाद पर बने पाकिस्तान में बहुसंख्यक मुस्लिम भी दुखी हैं। जुल्म सहने वाले हमारे ही भाई-बहनों को नागरिकता देना कोई गुनाह नहीं है। यह बात मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संयोजक इंद्रेश कुमार ने संगोष्ठी में कही।
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सूफी, सज्जादानशीन, खादिम हजरात की कॉन्फे्रंस में उन्होंने कहा कि ईसाई मुल्कों में 224, मुस्लिम राष्ट्रों में 72 और बौद्ध मतावलंबी राष्ट्रों में 18 फिरके एकसाथ नहीं रह सकते है। केवल हिंदुस्तान में दुनिया के सभी धर्मों के लोग सद्भाव और भाईचारे से रहते आए हैं। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अन्य मुल्कों में हमारे हिंदू, बौद्ध और अन्य भाइयों पर अत्याचार हो रहे हैं। उन्हें नागरिकता देने के लिए सीएए बनाया गया है। इस दौरान विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा कि देश का संविधान बेहद सशक्त है। हिंदुस्तान में सभी जाति, धर्म, संप्रदाय के लोग बड़े ओहदे तक पहुंचे हैं। मुल्क से ही हमारी पहचान है। इस दौरान इंद्रेश ने ख्वाजा साहब की दरगाह के लिए चादर भी सौंपी। दौरान गौंडा के रजा रिजवी, एस.एफ. हसन चिश्ती, मौलाना कोकब ने भी संबोधित किया। संचालन अबु बकर नकवी ने किया।
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मतलब शैतान का विरोध..
इंद्रेश कुमार ने कहा पैगंबर रसूल ने कहा था कि हिंद से आने वाली ठंडी हवाएं सुकून देती हैं। भारत ने सदियों पूर्व पारसी, ईरानी, नेपाली, तमिल और अन्य देशों के लोगों को पनाह दी। मजहब हमें आपस में बैर करना नहीं सिखाता। कुछ लोग सीएए के नाम पर लोगों को भडक़ा रहे हैं। अच्छाई का विरोध शैतान करते हैं। यानि सीएए का विरोध भी वही लोग कर रहे हैं।
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यह भी बोले इंद्रेश
-130 करोड़ की आबादी में जैन, पारसी, मुस्लिम, ईसाई, हिंदू, बौद्ध शामिल लेकिन पहले हम भारतीय
– मजहब हमें आपस में बैर नहीं आपस में सिखाता है प्रेम करना
-मदरसे, स्कूल-कॉलेज में बच्चों के दाखिले या वोटर लिस्ट में नाम लिखवाते हो तो सूचनाएं लिखते हैं। एनपीआर भी तो वही है। फिर इसका विरोध क्यों?
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-गरीब नवाज और ब्रह्मजी की नगरी देती है प्रेम-सद्भाव का संदेश, इसे फैलाएं दुनिया में

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