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अजमेर

पंच दिवसीय दीपावली त्योहार, बाजार सजकर तैयार

भले ही जमाना कितने भी आगे बढ़ गया हो, लेकिन आज भी माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना के लिए दीवारों पर सोरती का चित्रांकन होता है। सफेद दीवार या मोटी कार्ड शीट पर बनाई जाने वाली सोरती में पहले ब्लैक कलर से लाइनिंग करने के बाद कलर भरे जाते हैं।

अजमेरOct 25, 2021 / 01:28 am

Dilip

पंच दिवसीय दीपावली त्योहार, बाजार सजकर तैयार

पंच दिवसीय दीपावली त्योहार, बाजार सजकर तैयार

बाड़ी. भले ही जमाना कितने भी आगे बढ़ गया हो, लेकिन आज भी माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना के लिए दीवारों पर सोरती का चित्रांकन होता है। सफेद दीवार या मोटी कार्ड शीट पर बनाई जाने वाली सोरती में पहले ब्लैक कलर से लाइनिंग करने के बाद कलर भरे जाते हैं। परिवर्तन के दौर में रेडीमेड सोरती का प्रचलन बढ़ गया है।
हटरी पर होते हैं परिवारीजनों के नाम
सोरती के सामने जिस जगह मां लक्ष्मी की पूजा होती है, वहां रंगोली सजाकर मिट्टी की बनी हटरी की पूजा का रिवाज है। जिस पर परिवार के सभी सदस्यों के नाम अंकित होते हैं।
बही खाता अब पहुंचा कम्प्य़ूटर पर
दीपावली की रात मां लक्ष्मी की पूजा के साथ बही खाता पूजन आज भी जारी है। गल्ला मंडी व्यापारी आज भी लाल बही के नाम से आने वाले खाता, रोकड़, चौपता, कापी, इंडेक्स खरीदते है, मगर इनका पूजन दीपावली को कर श्री गणेश नए वित्तीय वर्ष से करते हैं। समय के बदलाव की बयार ने बही खाता का काम अब कम्प्य़ूटर पर पहुंचा दिया है, मगर आज भी व्यापारी रजिस्टर, कापी, पैन खरीद कर मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं।बाड़ी. घरों में हाथ से बनी हुई सोरती।
इनका कहना है
समय के परिवर्तन ने सभी त्योहारों का उत्साह फीका कर दिया है। पहले धनतेरस को बर्तनों की बंपर बिक्री होती थी, अब तो महज रस्म अदायगी के लिए खरीदारी करते हैं। प्रिया गर्ग, ग्रहिणी।
अब आदमी एक बार कलर कराकर चार पांच वर्ष के लिए निजात पाना चाहता है, पहले से रंग रोगन का उठाव काफी कम है।भावना गर्ग, ग्रहिणी।

कोरोना के कारण दो वर्ष से काम काफी कम हैं। मंहगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है।शशि बंसल, ग्रहिणी।
बाड़ी की मिठाई का देश भर में नाम है। यहां के लोग जो बाहर कारोबार कर रहे हैं, वे यहां की ही मिठाई खरीदना पसंद करते हैं, क्योंकि यहां की मिठाई गुणवत्ता पूर्ण और सस्ती है।भावना मित्तल, ग्रहिणी।
दीपावली पर खील, खिलौने की बिक्री पहले से काफी कम है। त्योहार पर जो डिमांड निकलनी चाहिए थी, वह नहीं निकल रही है।पारुल मित्तल, ग्रहिणी।

दीपावली रोशनी का त्योहार है। पहले से बिक्री कम ही है। रंगीन बल्व, झल्लर अब लोग कम ले रहे हैं।मंजू गोयल, ग्रहिणी

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