गुरुनानक की 550वीं जयंती विशेष : अजमेर भी आए थे गुरु नानक देव
गुरुनानक की 550वीं जयंती विशेष : अपनी द्वितीय उदासी अर्थात प्रवास के दौरान वे बीकानेर, गंगानगर, जोधपुर, कोलायत, पोखरन, जैसलमेर, नाथद्वारा इत्यादि राजस्थान के कई नगरों सहित अजमेर और पुष्कर भी आए थे।
गुरुनानक की 550वीं जयंती विशेष : अजमेर भी आए थे गुरु नानक देव
अजमेर . सिखों के प्रथम आदि गुरुनानक देव जी को बाबा नानक और नानकशाह के नामों से भी जाना जाता है। सूफी संत के रूप में भी विख्यात रहे नानकदेव एक महान दार्शनिक, योगी, धर्मसुधारक, समाज सुधारक, आदर्श गृहस्थ, कवि और राष्ट्रभक्त थे। सूफी कवि के रूप में उन्होंने अनेक काव्य रचनाएं की। उन्होंने 1521 ई. तक मानव कल्याण के लिए भारत, अफगानिस्तान, फारस, अरब इत्यादि में घूम-घूम कर उपदेश दिए, इन्हें पंजाबी में उदासियां कहा जाता है।
उनके उपदेश का सार यही रहता था कि ईश्वर एक है और उसकी उपासना हिन्दू व मुसलमान दोनों के लिए है। अपनी द्वितीय उदासी अर्थात प्रवास के दौरान वे बीकानेर, गंगानगर, जोधपुर, कोलायत, पोखरन, जैसलमेर, नाथद्वारा इत्यादि राजस्थान के कई नगरों सहित अजमेर और पुष्कर भी आए थे।
राजस्थान प्रवास में उन्होंने अधिकांशत: जैन मुनियों से विचार मंथन किया और उपदेश भी दिए। कहते हैं कि उन्होंने राजस्थान के रेगिस्तान में से मीठा पानी निकालने का चमत्कार भी किया था। किन्तु उनके चर्चित चमत्कारों पर ऐतिहासिक दृष्टि डालें तो यह स्पष्ट होता है कि गुरुनानक देव ने लोगों को अचम्भित करने के लिए नहीं वरन् शिक्षा देने के लिए चमत्कारों का उपयोग किया। अजमेर में आकर उन्होंने विविध हिन्दू मंदिरों के दर्शन किए और ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह(dargah sharif) भी गए। तब उन्होंने ईश्वर, प्रार्थना, श्रद्धा और मुसलमान के अर्थ पर उपदेश दिए।गुरुनानक देव का जन्म कार्तिक पूर्णिमा (Karthik Purnima) संवत 1527 को राय भोई की तलवंडी वर्तमान में ननकाना साहिब पंजाब प्रान्त पाकिस्तान में हुआ था। उनके जन्मदिवस कार्तिक पूर्णिमा पर ही गुरुनानक 1509 ई. में पुष्कर सरोवर (pushkar sarover) में स्नान करने आए थे। इसी दिन प्रति वर्ष पुष्कर मेला भी लगता है।
सिखों के दो प्रमुख गुरु नानक देव और बाद में गुरु गोबिन्द सिंह के पुष्कर(pushkar fair 2019) आगमन की स्मृति में यहां ‘गुरुद्वारा सिंह सभा‘ स्थापित किया गया। इस स्थान को पूर्व में गुरु नानक धर्मशाला भी कहा जाता था, जिसका निर्माण 19वीं शताब्दी के लगभग माना जाता है। इस गुरुद्वारे का संचालन श्री गुरु सिंह सभा अजमेर द्वारा किया जाता है।
हिन्दू मान्यता के अनुसार पुष्कर सरोवर में स्नान करने से समस्त पाप दूर होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। पर गुरु नानक देव ने इसमें यह भी जोड़ा कि केवल स्नान नहीं नाम स्नान करना आवश्यक है। अर्थात केवल बाहरी पवित्रता के साथ भीतर से भी पवित्र होना है। कोई व्यक्ति यदि मुख से ईश्वर के नाम का मंत्रजाप करता है और भीतर धनप्राप्ति का लालच लिए हुए है तो इसका कोई अर्थ नहीं है। तन को स्वच्छ करने के साथ ही मन को भी पवित्र बनाना है। – उमेश कुमार चौरसिया, साहित्यकार
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