अजमेर के अलवरगेट निवासी मनोज ने अस्पताल प्रबंधन व पुलिस को दी शिकायत में बताया कि 12 मई को उसकी गर्भवती पत्नी रोमा को भर्ती करवाया। दोपहर 12.30 बजे सर्जरी से प्रसव के दौरान बच्ची को जन्म दिया। इसके करीब 24 घंटे के बाद 13 मई को दोपहर तक कोई भी चिकित्सक बच्ची की जांच करने नहीं पहुंचा। बाद में उन्होंने इस संबंध में नर्सिंग स्टाफ को कहा तो ड्यूटी पर चिकित्सक ने बच्ची की जांच की जांच की और बताया कि बच्ची को पीलिया है। उन्होंने नर्सिंग स्टाफ को तुरंत फोटो थैरेपी देने के निर्देश का नोट एडमिशन टिकट पर डाल दिया। नर्सिंग स्टाफ ने टिकट को देखा ही नहीं और ना थैरेपी दी गई। इससे पीलिया बढ़ गया। इसके बाद चिकित्सक ने उसका खून बदलने को कहा। तथा ब्लड ग्रुप ओ पॉजीटिव का ब्लड लाने को कहा। अस्पताल के ब्लड बैंक में संबंधित ब्लड ग्रुप का ब्लड होने के बावजूद उसे नहीं दिया और कहा कि जेएलएन अस्पताल से लेकर आएं। रात्रि में वह परिजन के साथ जेएलएन के ब्लड बैंक पहुंचा जहां बताया कि ब्लड यहां नहीं अस्पताल से ही मिलेगा। बाद में जनाना अस्पताल के ब्लड बैंक में संपर्क किया तो वहां ब्लड उपलब्ध कराया। इस तरह उपचार में करीब 18 घंटे की देरी के चलते बच्ची ने दम तोड़ दिया। उन्होंने संबोधित कार्मिकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।