अजमेर

Peacock: राज्य में कितने मोर, ना सरकार जानती ना वन विभाग

पक्षी प्रेमी और पर्यावरणविद इनसे इत्तेफाक नहीं रखते। वे विभागीय गणना को अनुमान और कागजी कार्रवाई बताते हैं।

अजमेरFeb 17, 2020 / 08:23 am

raktim tiwari

peacock in rajasthan

रक्तिम तिवारी/अजमेर.
राज्य और देश में कितने मोर हैं, इसका वास्तविक आंकड़ शायद सरकार और वन विभाग के पास नहीं है। हाईकोर्ट के आदेश पर वन विभाग ने आंकड़े जारी किए पर पक्षी प्रेमी और पर्यावरणविद इनसे इत्तेफाक नहीं रखते। वे विभागीय गणना को अनुमान और कागजी कार्रवाई बताते हैं।
यह भी पढ़ें

cyber crime : भोपाल के ठग ने अजमेर के बैंक खाते से उड़ाई नकदी

मोर को 1963 में राष्ट्रीय पक्षी का दर्जा दिया गया। केंद्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने हाल में एक सवाल के जवाब में कहा था कि उसके पास मोर की जनसंख्या का वास्तविक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। सरकार ने कहा था कि मोर सामान्य रूप से पाया जाने वाला पक्षी है। यह वन क्षेत्र, कृषि भूमि और मानव बस्तियों में पाया जाता है। वन जीव अधिनियम 1972 की अनुसूची प्रथम में इन्हें सूचीबद्ध कर संरक्षण का प्रावधान किया गया है। धारा 50, 51 और 9 के तहत इनके शिकार पर न्यूनतम तीन और अधिकतम सात साल की सजा और 25 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है।
यह भी पढ़ें
Ajmer Urs 2020 : अजमेर व पुरी-छपरा के बीच चलेगी उर्स में स्पेशल ट्रेन

यह बताए जिलेवार मोर
अजमेर-8760, बांसवाड़ा-13,567, अलवर-12,518, बाडमेर-87001, बारां-2353, भरतपुर-10380, धौलपुर-6210, करौली-7119, भीलवाड़ा-15825, उदयपुर-2313, टोंक-754, श्रीगंगानगर-1773 सिरोही-1773, सिरोही-43145, सवाई माधोपुर-12571,राजसमंद-50357, प्रतापगढ़-4291, पाली-40311, नागौर-19811,कोटा-843, जोधपुर-95,170, झुन्झुनूं-14804, झालावाड़-968, जालौर-50828, जैसलमेर-23,557, जयपुर-4838, हनुमानगढ़-2591, डूंगरपुर-25487, दौसा-20778, चूरू-12043, चित्तौडगढ़़-708, बंूदी-2042, बीकानेर-12737
(हाईकोर्ट के आदेश पर जाजू को दी गई सूचना)
यह भी पढ़ें
Ajmer Discom : डिस्कॉम एमडी का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा

अजमेर में 2014 से अब तक मृत मोर
अजयपाल क्षेत्र -15, रामसिंहपुरा-11, मांगलियावास-5, देवलियाकलां-24, अजगरा-24, भिनाय-6, नापाखेड़ा-3, मसूदा-81, भैरूंखेड़ा-21, पीसांगन-8, पुष्कर सूरजकंड-13, जेताजी का बाडिय़ा-9, केकड़ी-9, सरवाड़-9, नसीराबाद-8, सवाईपुरा-9

Read More: catwalk with children बच्चों के साथ कैटवॉक पर इठलाई मम्मी
दुर्भाग्य है कि केंद्र-राज्य सरकार और वन विभाग के पास मोरों का वास्तविक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। जो आंकड़े वन विभाग ने दिए हैं वे काल्पनिक हैं। मोरों की सही गणना नहीं की जाती है।
बाबूलाल जाजू, प्रभारी पीपुल्स फॉर एनिमल
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.