अजमेर जिले के किशनगढ़, ब्यावर, नसीराबाद, केकड़ी, पुष्कर और अन्य इलाकों के गांवों में पिछले दो दिन से बारिश का दौर जारी रहा। हालांकि अब धूप खिलने से बारिश का दौर थम गया है। लेकिन बारिश के कारण मूंग और बाजरे की फसल को नुकसान पहुंचा है। मूंग की अधिकांश फसल की कटाई हो चुकी है, जबकि जिन खेतों में मूंग की फसल खड़ी है उसकी फलियां टूट गईं और उनके वापस अंकुरित होने का अदेशा बना हुआ है।
बाजरे की फसल खेतों में लहलहा रही है। बाजरे की कटाई का कार्य अभी शुरू नहीं हुआ है, लेकिन बारिश के चलते उसकी क्वालिटी खराब होने की उम्मीद है। ग्वार और तिल की फसल पकने में अभी समय है। इसके कारण उनमें नुकसान की संभावना कम है। किशनगढ़ पंचायत समिति क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले किशनगढ़, पाटन, सलेमाबाद और रूपनगढ़ क्षेत्र में मूंग की करीब 12 हजार, बाजरे की 11 हजार और ग्वार की 2 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में बुवाई हुई थी। वर्तमान में सिर्फ मूंग की कटाई चल रही है।
बारिश की कमी, अब अधिकता से नुकसान मानसून की बारिश कम होने के कारण मूंग की फसल पानी की कमी से पहले ही 30 प्रतिशत से अधिक का नुकसान हो चुका है। शनिवार व रविवार को सुबह से शाम तक बादल छाने और बारिश होने से कटाई से शेष मूंग को फिर नुकसान पहुंचा है।
रबी की फसल बुवाई के लिए अच्छा वर्तमान में जिन खेतों से मूंग की फसल कट गई है। वहां पर रबी की बुवाई की तैयारी चल रही है उन खेतों के लिए बारिश अमृत समान मानी जा रही है। इससे रबी की फसल अच्छी होने की उम्मीद की जा रही है।
नुकसान ज्यादा फायदा कम बारिश से नुकसान ज्यादा और फायदा कम है। बारिश के कारण ज्वार, बाजरा, मूंग की फसल में नुकसान हुआ। अगली फसल के लिए फायदेमंद हो सकती है यह बारिश।
– गोपाल जाट, रामपुरा काश्तकार
– गोपाल जाट, रामपुरा काश्तकार
फसलों को पहुंचा नुकसान
बारिश के कारण सभी फसलों को नुकसान हुआ है। मूंग और बाजरे में ज्यादा नुकसान है। पहले पानी की कमी से मूंग को नुकसान पहुंचा था। अब बारिश होने से फिर नुकसान हुआ है।
बारिश के कारण सभी फसलों को नुकसान हुआ है। मूंग और बाजरे में ज्यादा नुकसान है। पहले पानी की कमी से मूंग को नुकसान पहुंचा था। अब बारिश होने से फिर नुकसान हुआ है।
हरिराम गुर्जर, ईटाकोई काश्तकार मूंग के नहीं मिल रहे भाव काश्तकारों से राम और राज दोनों रूठे हुए की कहावत चरितार्थ हो रही है। मूंग की फसल में पानी की कमी के कारण पहले ही नुकसान हो चुका है। अब बारिश होने से मूंग की फसल में फिर नुकसान हुआ है। सरकार की ओर से समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीद अभी तक शुरू नहीं की गई है। ऐसे में काश्तकारों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी काफी कम मूल्य पर बिक्री करनी पड़ रही है। ऐसे में काश्तकारों को दो से तीन हजार रुपए का आर्थिक नुकसान हो रहा है। केन्द्र सरकार ने 6975 रुपए प्रति क्विंटल मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया है, इसके बावजूद राज्य सरकार की ओर से मूंग की खरीद शुरू नहीं की जा रही है। इससे काश्तकारों को औने-पौने दामों पर मूंग बेचने पड़ रहे हैं। इससे काश्तकार अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा है। काश्तकारों को लागत तक निकालना मुश्किल हो रहा है।