script‘साहब बिजली को प्राइवेट कर दो, लेकिन सप्लाई तो पूरी दे दो’ | 'Sir, make the electricity private, but give the supply completely' | Patrika News
अजमेर

‘साहब बिजली को प्राइवेट कर दो, लेकिन सप्लाई तो पूरी दे दो’

उपखंड में बड़ी मात्रा में होने वाली विद्युत चोरी रोकने में पूरी तरह विफल रहने पर आंकड़ों में हेराफेरी के लिए करवाई जा रही अघोषित कटौती के चलते आम ईमानदार उपभोक्ता के दिल मे पीड़ा बढ़ती जा रही है। ऐसे में वे जिले के अधिकारियों द्वारा चोरी पर लगाम न लगा पाने पर हो रही अघोषित कटौती को रोककर विद्युत वितरण व्यवस्था को निजी क्षेत्र में देने की पुरानी मांग को मुखर कर रहे हैं। जिससे ईमानदार उपभोक्ताओं को पूरी बिजली मिल सके। अन्य लोगों की बेईमानी का दंड उन्हें मिलने से वे बच सकें।

अजमेरDec 01, 2020 / 11:01 pm

Dilip

‘साहब बिजली को प्राइवेट कर दो, लेकिन सप्लाई तो पूरी दे दो’

‘साहब बिजली को प्राइवेट कर दो, लेकिन सप्लाई तो पूरी दे दो’

राजाखेड़ा. उपखंड में बड़ी मात्रा में होने वाली विद्युत चोरी रोकने में पूरी तरह विफल रहने पर आंकड़ों में हेराफेरी के लिए करवाई जा रही अघोषित कटौती के चलते आम ईमानदार उपभोक्ता के दिल मे पीड़ा बढ़ती जा रही है। ऐसे में वे जिले के अधिकारियों द्वारा चोरी पर लगाम न लगा पाने पर हो रही अघोषित कटौती को रोककर विद्युत वितरण व्यवस्था को निजी क्षेत्र में देने की पुरानी मांग को मुखर कर रहे हैं। जिससे ईमानदार उपभोक्ताओं को पूरी बिजली मिल सके। अन्य लोगों की बेईमानी का दंड उन्हें मिलने से वे बच सकें।
क्या है मामला राजाखेड़ा शहरी क्षेत्र में ही लगभग 10200 परिवार निवास करते है। लेकिन इनमें से सिर्फ 2500 के पास ही विद्युत कनेक्शन है। शेष कैसे विद्युत प्राप्त कर रहे हैं। ये तो सिर्फ समझने की आवश्यकता है। लोगों का आरोप है कि कर्मचारियों की निरंकुशता के चलते लोगों के जूते घिस जाते हैं लेकिन उन्हें कनेक्शन नहीं मिल पाता। जिसके चलते वे अब तक बिजली प्राप्त नहीं कर पाए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में तो विद्युत चोरी के हालात और भी भयावह है। जहां डर के चलते विभागीय अमला आसानी से विजिलेंस करने भी नही जा पाता। और भी अनेक कारण हैं, जिसकी वजह से विद्युत चोरी क्षेत्र में लाइलाज बीमारी बन चुकी है।
आंकड़ों को नियंत्रण में रखने की कारीगरी …

एक ओर तो लाइलाज होती बिजली चोरी और दूसरी ओर सरकार का राजस्व बढ़ाने का दबाव अधिकारियों को आंकड़ों की कारीगरी से विद्युत चोरी के आंकड़ों को नियंत्रण में रखने के लिए मजबूरी बनता जा रहा है। सर्दियों में बढ़ती खपत और घटती बिलिंग ने निगम की नींद उड़ा दी है। ऐसे में उन्होंने विद्युत चोरी रोकने के लिए अघोषित कटौती को सबसे आसान उपाय बना लिया है। न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी की तर्ज पर उन्होंने क्षेत्र की बिजली ही गुल करना आरंभ कर दिया है। न बिजली आएगी और न ही चोरी होगी।
चोरी के चलते वितरण तंत्र खराब …
निगम ने कुछ ही माह पूर्व शहरी क्षेत्र में खुले बिजली तारों के स्थान पर पीवीसी केबल डलवाई थी। जिससे लोग आंकड़ें न डाल सके। लेकिन करोड़ों की केबल कुछ ही महीनों में बिजली चोरों ने जगह जगह काटकर क्षतिग्रस्त कर दी। लेकिन निगम अधिकारियों की प्रशासनिक लापरवाही से न चोरी रुकी और करोङ़ों की केबल ही सुरक्षित रह सकी। बल्कि दोहरा नुकसान ओर हो गया। सर्वे ठंडे बस्ते मेंनिगम ने पिछले आधा दशक में कई बार घर घर सर्वे कराया है, जिससे बिना कनेक्शन परिवारों को जबरन कनेक्शन दिया जा सके। लेकिन लापरवाही और उदासीनता के चलते कनेक्शन जारी नहीं किए जा सके। व्यावसायिक कनेक्शन के लिए भी हुआ सर्वे फाइलों में धूल फांक रहा है।

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