किसानों द्वारा बीजों की जांच रिपोर्ट शीघ्र ही सार्वजनिक करने की मांग की जा रही है। कृषि विभाग द्वारा बीज सहित रासायनिक खाद व दवाइयां का विक्रय करने वाली लांयसेंसधरी दुकानों से जांच के लिए सेंपल लिए जाते हैं, लेकिन इन संपलो की जांच में लंबा समय लग जाता है। जब तक किसान बोवनी कर चुके होते हैं। ऐसे में बाद में बीज अमानक निकलने पर किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ती है।
कृषि विभाग द्वारा खरीफ के सीजन के पूर्व अभियान चलाकर लायंसेसधारी फर्मो द्वारा विक्रय किए जाने वाले बीजो के सैंपल लिए जाते हैं। इनकी मानकता जांचने के लिए प्रयोगशाला भेजा जाता है। इसकी जांच रिपोर्ट 30 से 35 दिन लग जाता है। यदि विभाग द्वारा 1 जून को सैंपल भेजे जाते हैं तो उसकी रिपोर्ट 30 जून के बाद ही मिलती है। जबकि इस बीच किसान जांच रिपोर्ट का इंतजार करते तो बोवनी का समय बीत जाता है।
बीज की मारामारी के चलते किसान मानूसन आने के पूर्व ही व्यापारियों से खरीद लेता है। बारिश होने के बाद बोवनी भी कर चुका होता है। बाद में यदि बीज अमानक पाया जाता या फिर खेतों में अंकुरण नहीं होता है तो किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। जिले में बड़ी संख्या में खाद बीज की दुकाने है। विभाग द्वारा सोयाबीन, मंूग, उड़द का सैंपल दुकानों से लिया जाता है। व्यापारियों द्वारा भी सैंपल उपलब्ध करा दिया जाता है, लेकिन जांच रिपोर्ट में लेट लतीफी होने के कारण किसानों एवं व्यापारियों दोनों को बीजों के गुणवत्ता के बारे में जानकारी नहीं होती है। ऐसे में व्यापारियों द्वारा विक्रय करना एवं किसानों द्वारा क्रय करना मजदूरी बन जाती है। यदि समय रहते बीज की जांच रिपोर्ट मिल जाती है तो व्यापारी इन बीजों को बेचने से बच सकता है। किसान भी इसे नहीं खरीदेगा।
किसानों का कहना है कि जांच के नाम पर एक माह का समय अधिक होता है। ऐसे में रिपोर्ट आने के बाद कोई औचित्य नहीं रह जाता है। इसकी कार्रवाई अधिकतम एक सप्ताह में पूरी हो जाना चाहिए। ताकि किसानों को समय रहते बीजो की मानकता का पता चल सके। जांच के नियमों में शंशोधन किया जाना चाहिए। इसके अलावा बीज को सर्टिफाइड करने वाले अधिकारियो पर भी कार्रवाई की जानी चाहिए। किसानों को मुआवजा मिलना चाहिए। जिस संस्था का बीज अमानक हो, उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक की जानी चाहिए।