हरिश्चंद्र भाटी की याचिका को निस्तारित करते हुए न्यायमूर्ति एस पी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने कहा कि कर दाता देश की अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण स्तंभ है। इन्हें बेवजह परेशान करने से देश की अर्थव्यवस्था के साथ रोजगार भी प्रभावित होता है।कोर्ट ने याची को आदेश के खिलाफ वैधानिक अपील या पुनरीक्षण अर्जी दाखिल करने की छूट दी है। भारत सरकार की तरफ से ए एस जी आई शशि प्रकाश सिंह व अर्विंद गोस्वामी व आयकर विभाग की तरफ से गौरव महाजन ने पक्ष रखा।
कोर्ट ने 23अप्रैल को जारी सर्कुलर को राष्ट्रीय, प्रांतीय व जिले की टैक्स बार एसोसिएशन को देने का निर्देश दिया है।इस सर्कुलर में मनमानी व गलती करने के दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने की प्रक्रिया दी गई है। कर निर्धारण के खिलाफ कर दाता को स्थानीय समिति में शिकायत करने का अधिकार है।यदि वह पाती हैं कि कर निर्धारण अधिकारियों ने नैसर्गिक न्याय का पालन नहीं किया है, विवेक का इस्तेमाल नहीं किया है,घोर लापरवाही बरती है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
कोर्ट ने स्थानीय समिति का प्रचार करने तथा राष्ट्रीय व स्थानीय अखबार में हर तीसरे महीने में सूचना प्रकाशित करने का निर्देश दिया है। और कहा है कि वेबसाइट पर भी अपलोड किया जाय तथा कर दाताओं में जागरूकता पैदा की जाय। कोर्ट ने कहा है कि जहां भी स्थानीय समिति का गठन नहीं किया गया है,अगले 15दिन में गठन कर दिया जाय। कोर्ट ने एक माह में मानिटरिंग सेल तैयार कर स्थानीय समिति की नियमित निगरानी करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने कहा प्रमुख मुख्य आयुक्त आयकर विभाग व जोनल सदस्य त्रैमासिक रिपोर्ट लेते रहे।समीक्षा कर सर्कुलर लागू कराये।
कोर्ट ने स्थानीय समिति को शिकायत दो माह में तय करने तथा उसके चार हफ्ते में कार्रवाई की कर दाताओं को जानकारी देने का भी निर्देश दिया है। कोर्ट ने सी बी डी टी को भी मानिटरिंग कर जारी सर्कुलर को लागू करने के उचित कदम उठाने का निर्देश दिया है।
मालूम हो कि याची और दुष्यंत भाटी ने अपनी खेती की जमीन का दो अलग अलग बैनामा किया। जिससे हुई आय पर धारा 148के तहत कर निर्धारण कार्रवाई की गई।नेशनल फेसलेस असेसमेंट सेंटर नई दिल्ली ने कार्यवाही की। बिना विवेक का इस्तेमाल किए तथा कर दाता की सफाई पर विचार किए बगैर कर वसूली आदेश जारी कर दिया गया। कोर्ट ने कहा फेसलेस,ने नान फेसलेस की तरह कार्य किया। कोर्ट ने याची को आदेश के खिलाफ अपील दाखिल करने की छूट दी है।