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लिव-इन को हरी झंडी! हाईकोर्ट बोला-बिना शादी साथ रहना कोई गुनाह नहीं!

Allahabad High Court News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। समाज में ऐसे रिश्तों की स्वीकारता नहीं होता है।

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Live-in relationship News

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Live-in relationship News: लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप भले ही समाज में स्वीकार्य नहीं है, लेकिन ऐसा हम नहीं कह सकते कि यह ‘गैर-कानूनी’ है। शादी से पहले किसी कपल का साथ रहना, कोई अपराध नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि कोई भी व्यक्ति, लड़का हो या लड़की। अगर वो बालिग है, उसे अपने जीवन में किसके साथ रहना है और किसके साथ नहीं, वो उसका निजी फैसला है।

कोर्ट ने क्या बोला?

कोर्ट ने कहा कि व्यक्ति के निजी फैसले में न कोई अन्य व्यक्ति और ना ही कोई परिवार का सदस्य, उसके जीवन में रोक-टोक लगा सकता है। वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले कपल द्वारा पुलिस सुरक्षा की मांग वाली सभी याचिकाओं को मंजूर कर लिया। कोर्ट ने कहा कि कोई भी कपल बिना शादी के अपने मर्जी से साथ रह सकता है। बता दें कि लिव इन में रह रहे कपल की दाखिल याचिकाओं पर जस्टिस विवेक कुमार सिंह की सिंगल बेंच ने इस पर टिप्पणी करते हुए, इस फैसले को सुनाया है। वहीं कोर्ट की एक अन्य बेंच ने किरण रावत और अन्य बनाम केस में ऐसे रिश्तों को “सामाजिक समस्या” बताया था। कोर्ट ने ऐसे रिश्तों से पैदा होने वाली समस्याओं को लेकर जोर दिया।

दायर याचिका में कपल्स की क्या मांग?

आज के समय में अक्सर यह देखा गया है कि कपल्स शादी से पहले ही अपने पार्टनर के साथ 'लिव-इन रिलेशनशिप' में रहने लगते हैं, लेकिन समाज ऐसे रिश्तों को नहीं अपनाता है। परिवार के लोगों की तरफ से इन रिश्तों को लेकर दबाव बनाया जाता है कि वो ऐसा न करें। कपल्स का कहना होता है कि वो एक-दूसरे को अच्छी तरह से जानने के लिए ऐसा करते हैं, जिससे उन दोनों को बीच कोई गलतफहमी या कोई भी सवाल न रहे। इलाहाबाद हाईकोर्ट में लिव-इन में रह रहे कुछ कपल्स ने याचिका दायर की थी, जिसमें पुलिस सुरक्षा की मांग की थी। याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जस्टिस विवेक कुमार सिंह ने युवाओं में जागरूकता पैदा करने पर जोर दिया है।

समाज क्यों नहीं करता स्वीकार?

कपल्स ने याचिका में कहा था कि उन्हें पुलिस सुरक्षा की जरूरत है, क्योंकि उन्हें परिवार के सदस्यों से जीवन को खतरा है। परिवार के लोग उनपर दबाव बनाते हैं। दूसरी तरफ सरकारी वकील ने इन दलीलों को गलत बताते हुए कहा कि समाज इस तरह के रिश्तों को स्वीकार नहीं करता। सरकारी वकील ने इन रिश्तों को एक कॉन्ट्रैक्ट बताया है।