हाईकोर्ट के आदेश से न्यायिक अधिकारी की अध्यक्षता में एक हाई पावर कमेटी गठित की गई थी।जिसकी जांच रिपोर्ट में अवैध रूप से मुआवजा दिये जाने का खुलासा हुआ। मुख्य सचिव राहुल भटनागर ने 6 सितंबर 2017 को रिपोर्ट दी। जिसमें में कहा गया है कि दुबारा मुआवजा दिया जाना कानून के विपरीत है । किंतु दोषी अधिकारियों के खिलाफ अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई। जिसको लेकर कोर्ट ने महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह की खिंचाई की और कहा कि इतने बड़े घोटाले पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई ।सरकार यदि कार्रवाई नही करती तो कोर्ट इसकी जांच सी बी आई को सौंपने पर विचार करेगी।
महाधिवक्ता ने कोर्ट से समय मांगा। याचिका की अगली सुनवाई 18 दिसंबर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की खंडपीठ ने कमल सिंह व तीन अन्य किसानों की मुआवजे की मांग में दाखिल याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है ।
मालूम हो कि बुलंदशहर के खुर्जा तहसील के ग्राम दशहरा केरली , ग्राम रुकनपुर, ग्राम जहानपुर, ग्राम नैफल उर्फ ऊंचा गांव ,चार गावों की कुल 9 69 . 023 एकड जमीन 1993 मे अधिग्रहीत की गयी। यह जमीन यूपीएसआईडीसी द्वारा ग्रोथ सेंटर बनाने के लिए ली गई थी। जिसका मुआवजा भी दे दिया गया। कुछ किसानों के मुआवजा न लेने से बची राशि ट्रेजरी में जमा कर दी गयी। यूपीएसआईडीसी ने इसी जमीन को टेहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन इंडिया लिमिटेड को थर्मल पावर प्रोजेक्ट बनाने के लिए दे दिया।
किसानों और ग्राम समाज की इस जमीन के मुआवजे के लिए कार्यवाही की गयी। 721 रूपया प्रति वर्ग मीटर की दर से मुआवजा तय किया गया और भुगतान किया गया। याची को मुआवजा नहीं दिया गया तो उसने याचिका दाखिल कर मुआवजे की मांग की। कोर्ट के आदेश से गठित एसआईटी ने जांच में यह पाया गया कि जिस जमीन का मुआवजा दिया जा चुका है, उसी जमीन का दोबारा करोडों का मुआवजा दिया गया है। इस पर कोर्ट ने सवाल उठाया कि एक बार मुआवजा देने के बाद क्या उसी जमीन का मुआवजा दोबारा दिया जा सकता है और क्या ऐसा करना कानून के अनुरूप है । मुआवजे की बंदरबाट पर कोर्ट ने सख्त रूख अपनाया है। सुनवाई 18 दिसम्बर को होगी।
BY- Court Corrospondence