यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने कानपुर नगर के एस.के सिंह की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने याची की बर्खास्तगी आदेश रद्द कर दिया है और कहा है कि याची सेवानिवृत्त आयु पूरी कर चुका है, इसलिए उसे सेवानिवृत्त मानकर परिलाभों का भुगतान किया जाय। याची का छह दिसम्बर 1991 को बर्खास्त कर दिया गया था। याची यूपिका में प्रबंधक पद पर तैनात था। बिना सुनवाई का मौका दिये तथा बिना कारण बताये उसे बर्खास्त कर दिया गया। याची का कहना था कि इसी आरोप में उसे प्रतिकूल प्रविष्टि दी गयी थी। उन्हीं आरोपों पर याची को बर्खास्त कर दिया गया। एक आरोप में दोहरा दण्ड नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि बर्खास्तगी आदेश रद्द होने पर विभाग को जांच कर कार्यवाही का मौका दिया जाना चाहिए। किन्तु याची बहुत पहले सेवानिवृत्त आयु पूरी कर चुका है। इसलिए ऐसा आदेश देना उचित नहीं है।