विकास के नाम पर हजारो पेड़ कटे
मानक के अनुरूप पीएम -10 का स्तर 100 माइक्रोन तक होना चाहिए। जो 370 माइक्रोन तक पहुंच गया है। यह आकंडा उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अगस्त माह की रिपोर्ट के मुताबिक है ।जबकि मार्च में शहर में पीएम -10 का अधिकतम स्तर 268 था।बता दें कि कुंभ के दौरान शहर में हजारों की संख्या में पेड़ काटे गए। तमाम विरोधो के बाद बहरे सरकारी तंत्र ने किसी की नहीं सुनी। जिसका कारण रहा की बीती गर्मी कई बार ऐसा हुआ जब प्रयागराज सूबे का सबसे ग्राम शहर रहा जबकि यह शहर तीन तरफ से पानी से घिरा है।
मानकों की अनदेखी कर हुए काम
कुंभ के दौरान विकास की जद में आने वाले हजारों की संख्या में घर तोड़े गए। जिसके बाद नए निर्माण को बिना कवर किए कराया बनाया गया। कुंभ के दौरान शहर में बनाए गए फ्लाईओवर्स चौराहे भी बिना कवर किए बने जिसके चलते वायुमंडल में धूल का गुबार जमा हो गया और उसने प्रदूषण के स्तर को तेजी से बढ़ा दिया है। शहर में तेजी से निर्माण कार्य कराए गए लेकिन यह सब प्रदूषण नियंत्रण विभाग के तमाम नियमों को ताक पर रखकर किया गया ।काम को जल्द पूरा करने के चलते सरकारी कामों में भी नियमों की अनदेखी की गई। जिसका खामियाजा शहरवासी झेल रहे है।
शहर भर में हुई खुदाई
इसके पहले प्रदूषण नियंत्रण विभाग ने जब देश भर के प्रदूषित शहरों की सूची में जारी की थी। उस समय प्रदूषण कम करने के लिए शासन द्वारा एक्शन प्लान बनाया गया था। उसमें सबसे ज्यादा जोर सड़क पर चलने वाली उन गाड़ियों पर पाबंदी लगाने का था। जो दिन रात जहर उगल रही है। इस दिशा में काम की शुरुआत हुई। लेकिन कुछ दिनों बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। कुंभ के दौरान शहर भर में खुदाई का काम चला। जिसके चलते कई बार शहरी लोगों ने अधिकारियों से इस बात की शिकायत की कि दिनभर धूल के गुबार के चलते बीमारियां बढ़ रही हैं। अस्थमा जैसी बिमारी तेज़ी फ़ैल रही है लेकिन शहर में हो रहे विकास के नाम लोग चुप रहे। जानकारी के मुताबिक शहर में प्रदूषण के बढ़ने के चलते सांस लेने में लोगों को दिक्कत होने लगी फेफड़े और दिल के मरीजों की संख्या बढ़ी है।