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इलाहाबाद हाईकोर्ट से बाहुबली मुख्तार अंसारी के साले को नहीं मिली राहत, गैंगस्टर एक्ट का है आरोपी, मुश्किलों से घिरा माफिया का परिवार

इलाहाबाद हाईकोर्ट से माफिया बाहुबली मुख्तार अंसारी के साले अनवर शहजाद को राहत नहीं मिली है। मामले में कोर्ट ने कहा कि अभियुक्त के खिलाफ मुकदमा होने के बावजूद गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हो सकती है। इस मामले में हाईकोर्ट ने रितेश कुमार उर्फ रिक्की बनाम यूपी राज्य के केस का हवाला भी दिया है।

प्रयागराजMay 24, 2022 / 09:40 am

Sumit Yadav

इलाहाबाद हाईकोर्ट से बाहुबली मुख्तार अंसारी के साले को नहीं मिली राहत, गैंगस्टर एक्ट का है आरोपी, मुश्किलों से घिरा माफिया का परिवार

इलाहाबाद हाईकोर्ट से बाहुबली मुख्तार अंसारी के साले को नहीं मिली राहत, गैंगस्टर एक्ट का है आरोपी, मुश्किलों से घिरा माफिया का परिवार

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट से माफिया बाहुबली मुख्तार अंसारी के साले अनवर शहजाद को राहत नहीं मिली है। मामले में कोर्ट ने कहा कि अभियुक्त के खिलाफ मुकदमा होने के बावजूद गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हो सकती है। इस मामले में हाईकोर्ट ने रितेश कुमार उर्फ रिक्की बनाम यूपी राज्य के केस का हवाला भी दिया है। इस केस में हाईकोर्ट ने कहा था कि एक आरोप में संलिप्तता के आधार पर गैंगेस्टर एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की जा सकती है। मामले में सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति सूर्य प्रकाश केसरवानी और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने की।
मुकदमा रद्द कराने की मांग

बाहुबली मुख्तार अंसारी के साले अनवर शहजाद ने गैंगस्टर और असामाजिक गतिविधि अधिनियम (गैंगेस्टर एक्ट) 1986 की धारा (3) के तहत अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उसके द्वारा यह तर्क दिया गया था कि एफआईआर में आईपीसी की धारा 419, 420, 467, 468, 471, 120-बी और शस्त्र अधिनियम की धारा 30 के तहत मामला दर्ज है। यह जानकारी दी गई कि वह इन धाराओं में निर्दोष है और जबरन फसाया गया है, जिसकी मुख्य वजह यह है कि वह मुख्तार अंसारी का ***** है। इसके अलावा कोर्ट को यह बताया भी गया कि वर्तमान सरकार ने सत्ताधारी पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ विधायक, संसदीय चुनाव लड़ने और जीतने वालों को परेशान करने की नीति शुरू की है।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अर्जी को की खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट में सरकार की तरफ से पक्ष में जवाब पेश करते हुए सरकारी अधिवक्ता ने जमकर विरोध किया। कहा कि याची गैंग का सदस्य है और अधिनियम 1986 की धारा 2 (बी) के तहत अपराध करने की आदत है। इसलिए गैंगेस्टर एक्ट के तहत दर्ज एफआईआर में कोई दोष नहीं है। मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि न्यायालय आरोपों की विश्वसनीयता या वास्तविकता की जांच नहीं कर सकता है। इसीलिए पुलिस द्वारा की जा रही जांच में हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह कहते हुए एफआईआर रद्द करने की मांग वाली अर्जी को खारिज कर दी।

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