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प्रयागराज

महंत नरेंद्र गिरि की ‘धूल रोट’ के बाद बाघंबरी गद्दी के नए महंत का पंच परमेश्वर करेंगे ऐलान

– बाघंबरी गद्दी को नए महंत की प्रक्रिया का तरीका जानें
 

प्रयागराजSep 23, 2021 / 09:22 am

Sanjay Kumar Srivastava

महंत नरेंद्र गिरि की ‘धूल रोट’ के बाद बाघंबरी गद्दी के नए महंत का पंच परमेश्वर करेंगे ऐलान

महंत नरेंद्र गिरि की ‘धूल रोट’ के बाद बाघंबरी गद्दी के नए महंत का पंच परमेश्वर करेंगे ऐलान

प्रयागराज. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध हालत में हुई मृत्यु के बाद बाघंबरी गद्दी खाली हो गई है। अब बाघंबरी गद्दी को नए महंत देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। अनौपचारिक मंथन चल रहा है। महंत नरेंद्र गिरि की ‘धूल रोट’ के खात्मे का इंतजार है। जिसके बाद निरंजनी अखाड़े के पंच परमेश्वर की बैठक होगी। इस बैठक में महंत के नाम पर मुहर लगेगी। वैसे तो अपने सुसाइड नोट्स में दिवंगत महंत नरेंद्र गिरि ने अपने उत्तराधिकारी के नाम का खुलासा बलवीर गिरि के रुप में किया है।
पंच परमेश्वर की बैठक :- बताया जा रहा है कि महंत नरेंद्र गिरि की ‘धूल रोट’ 25 सितम्बर को सम्पन्न होगी। इसके बाद निरंजनी अखाड़े के पंच परमेश्वर की बैठक होगी। इस बैठक में महंत के नाम पर पर औपचारिक मुहर लगेगी। निरंजनी अखाड़े में वर्तमान में 4 सचिव थे। नरेंद्र गिरि के निधन के बाद अब 3 सचिव रह गए। जिसमें सबसे वरिष्ठ सचिव हरिद्वार से रवींद्र पुरी, रामरतन गिरि और ओंकार गिरि भी इस बैठक में शामिल होंगे। निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद भी इस बैठक में शामिल होंगे।
धूल रोट क्या है ? :- श्री मठ बाघम्बरी गद्दी में समाधि के बाद धूल रोट का आयोजन होगा। धूल रोट ब्रह्मलीन होने के तीसरे दिन होता है। धूल रोट में रोटी में चीनी मिलाकर महात्माओं को दिया जाता है। चावल व दाल प्रसाद स्वरूप बांटा होता है। सभी संत इसे ग्रहण कर मृतक के स्वर्ग प्राप्ति की कामना करते हैं।
‘चादर विधि’ सबसे अहम :- अखिल भारतीय संत समिति राष्ट्रीय महामंत्री जीतेंद्रानंद सरस्वती बताते हैं कि, सभी अखाड़ों की अलग अलग परम्परा है। पुरी, गिरि, सरस्वती, भारती जैसे संत अपनी-अपनी परम्परा का पालन करते हैं। जानकारों का कहना है कि, अगर अखाड़े के पंच परमेश्वर महंत के नाम पर एकमत हो जाते हैं तो फिर तारीख़ तय होती है। प्रक्रिया में ‘चादर विधि’ सबसे अहम होती है। इसको ‘महंतई की चादर’ कहते हैं। सनातन संस्कृति में चादर को बेहद सम्मान के रूप में देखा जाता है। अखाड़े के वरिष्ठ सदस्य महंत को चादर ओढ़ाते हैं, फिर तिलक, चंदन के साथ उसका सम्मान करते हैं।
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योग्य शिष्य उत्तराधिकारी :- जानकारों के अनुसार, अधिकतर होता है कि, मठों के वर्तमान महंत अपने उत्तराधिकारी की घोषणा अपने जीवनकाल में ही कर देते हैं। अपने सबसे योग्य शिष्य को महंत अपना उत्तराधिकारी बनाता है।
नए महंत के सामने दोहरी चुनौती :- अखिल भारतीय संत समिति राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती कहते हैं धर्म की डगर बेहद कठिन है। उस परिस्थिति में और मुश्किल आती है जब गुरु का शरीर सामान्य रूप से शांत न हुआ हो। ऐसी स्थिति में महंत बनने वाले के लिए दोहरी चुनौती होती है।

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