READ: SIKAR के युवक को हैदराबाद में मिली ये सजा, शेरनी को KISS करने के लिए इसने शेर से यूं लिया था पंगा अब मुर्दों के अंतिम क्रियाक्रम का हिसाब लगाकर देते हैं। गौर करने वाली बात यह है कि ये अपनी सेवा यहां निशुल्क देते हैं। बिना मेहनताने इनको ये सेवा करते सालों गुजर गए हैं। बतौर विजय सिंह का कहना है कि क्या साथ लाए थे और क्या लेकर जाएंगे। जिंदगी की कमाई का यहीं हिसाब चुकाएंगे।
READ: त्योहारी सीजन में इन 13 हजार पदों पर सरकारी नौकरी लगकर परिजनों को आप भी दे सकते हो दोहरी खुशी पांच साल हो गए हैं। आत्मा में सकून और खुशी है कि मरने वालों की सेवा करने का मौका मिल रहा है। पुरानी बावड़ी में खूब खाली जगह है। यहां शमशान भूमि पंचायत के नाम से ट्रस्ट चल रहा है। बैंक में जिस दिन इस्तीफा देकर आया था। तब से हर सुबह की शाम छह बजे तक यहीं सेवा देता हूं।
जहां मौत होने के बाद उसके अंतिम क्रियाक्रम का सामान लेने पहुंचते हैं। उनके साथ दो घड़ी बैठकर उनके दुख-दर्द बांट लेता हूं। कफन और क्रियाक्रम का पूरा पैक कर देता हूं। मेहनत का पैसा इसलिए नहीं लेता, क्योंकि इस काम को कोई मोल नहीं होता। हालांकि जिस दिन शहर में नहीं रहता। उस दिन जिम्मेदारी व्यापारी बनवारी बजाज को सौंप कर जाता हूं।
मंदिर का मान लिया पुजारी वर्षों पुरानी बावड़ी में पीपल के पेड के नीचे सुदर्शन माता का मंदिर भी है। यहां साफ-सफाई का नियमित पूजा करने पर आस-पास के लोगों ने विजय को ही मंदिर पुजारी की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंप दी है। जिसकी आरती से लेकर भंडारा करने तक की व्यवस्था शामिल है।
लावारिस बॉडी का भी यही ठिकाना यहां से लावारिस मुर्दे के लिए भी कफन का कपड़ा और क्रियाक्रम का सामान निशुल्क जाता है। आत्माराम पंसारी इसका संचालन नो प्रोफिट और नो लोस में करते बताए।