दोनों अस्पतालों की हालत खराब बीते साल बजट में नौगांवा और मुबारिकपुर स्वास्थ्य केंद्र के सीएचसी होने की घोषणा हुई थी। लेकिन दोनों ही अस्पतालों के हालात खराब हैं। मरीजों के इलाज के अब तक कोई इंतजाम नहीं हैं। मरीज दिनभर इलाज के लिए चक्कर लगाते हैं। इसी तरह के हालात जिले के अन्य हिस्सों के हैं। लेकिन इस पर किसी का
ध्यान नहीं हैं। मुण्डावर में प्रतिदिन 350 से 400 मरीजों की ओपीडी होती है व प्रतिमाह 100
प्रसव केस होते हैं। उसके बाद भी अस्पताल में केवल दो डॉक्टर हैं। जबकि अस्पताल में छह पद स्वीकृत हैं। मुण्डावर सीएचसी में मरीजों को मुख्यमंत्री नि:शुल्क जांच योजना का लाभ नहीं मिलता। लैब में ज्यादातर मशीनें खराब पड़ी हुई हैं।
जिला अस्पताल के वार्डों में नहीं हैं विशेषज्ञ जिले अस्पताल में छोटे बड़े करीब 12 वार्ड हैं। इसके अलावा, जनाना अस्पताल में आने वाली महिलाओं को मेडिकल विशेषज्ञ की आवश्यकता पड़ती है। इन सभी कार्यों के लिए केवल चार फिजीशियन हैं। इन पर नाइट डयूटी का भी भार रहता है। ऐसे में दो डॉक्टर इन वार्डों में भर्ती 250 से अधिक मरीजों का इलाज करते हैं। कई बार इलाज के लिए एक ही डॉक्टर रह जाता है। इस स्थिति में इलाज के नाम पर केवल खानापूर्ति होती है।
कई विभागों में नहीं हैं डॉक्टर सामान्य अस्पताल में कई विभाग ऐसे हैं। जिनमें डॉक्टर नहीं हैं, तो कुछ में एक व दो डॉक्टरों के भरोसे
काम चल रहा है। हड्डी विभाग में केवल दो डॉक्टर हैं। यह डॉक्टर दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाते हैं। आए दिन जिले के विभिन्न हिस्सों में डयूटी रहती है। एक ऑपरेशन करता है। आए दिन कोर्ट में जाना पड़ता है। ऐसे में आउट डोर खाली रहता है। इसी तरह से चर्म विभाग में एक भी डॉक्टर नहीं है। एक डॉक्टर ने कुछ माह पहले वीआरएस ले लिया था। अब कुछ दिन पहले एक डॉक्टर को वहां लगाया गया है। इसी तरह के हालात अन्य विभागों के हैं। जबकि अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन तीन हजार से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं। इस हिसाब से आउट डोर में हमेशा डॉक्टर की आवश्यकता रहती है।