अलवर जिलेभर के किसानों को fपर चना, गेहूं और सरसों की खरीद के लिए काफी समय से इंतजार करना पड़ रहा था। जहां उप रजिस्ट्रार सहकारिता गुलाबचंद मीणा ने इसका शुभारंभ सोमवार को अलवर क्रय विक्रय सहकारी समिति से किया। अलवर जिले में 21 क्रय-विक्रय सहकारी समिति पर यह खरीद शुरू की गई है। अलवर जिले के किसान सरसों को अपना काला सोना मानते हैं और इसकी बुवाई इस बार बहुत अधिक की गई है। जहां काफी समय से सरकारी खरीद का इंतजार किसानों को था।
सहकारिता विभाग के उप रजिस्ट्रार ने बताया कि अलवर जिले के क्रय-विक्रय सहकारी समिति के 21 केदों पर सोमवार से खरीद शुरू कर दी गई है। इसके साथ ही खेड़ली और लक्ष्मणगढ़ में गेहूं की खरीद शुरू की गई है, जहां 6 केंद्र स्थापित है। अन्य ग्राम सेवा सहकारी समिति पर भी इसकी खरीद शुरू करने के लिए फिर से पांचवीं बार टेंडर मंगलवार को खोले जाएंगे।
सरसों में रहा नुकसान अग्रणी किसान तथा ऑर्गेनिक पद्धति से खेती करने वाले गणपत सिंह, विक्रम सिंह, कमल सिंह, ईश्वर सिंह आदि ने बताया कि इस वर्ष सर्दी अधिक होने के कारण सरसों की फसल को नुकसान रहा, जिसके चलते एक बीघा में करीब 6 क्विंटल का उत्पादन हुआ, वहीं चने का उत्पादन 5 क्विंटल प्रति बीघा के हिसाब से ही रहा है। गेहूं का उत्पादन 10 क्विंटल से 13 क्विंटल प्रति बीघा का रहा है। उधर भारतीय किसान यूनियन के धर्मचंद चौधरी, भूपत सिंह बालियान आदि का कहना है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद देरी से शुरू हुई है। जिसका घाटा किसानों को हुआ है। अधिकतर किसान जिनका पंजीयन नहीं हुआ है, उन्होंने अपनी फसल साहूकारों को पहले ही बेच दी है।
30 जून तक होगी खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरसों का 5650 तथा चने की फसल 5440, गेहूं 2400 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीद की जा रही है। प्रदेश सहित अलवर जिले में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर चने, गेहूं, सरसों की खरीद क्रय विक्रय सहकारी समिति के निर्देशन में 30 जून तक की जाएगी। फिलहाल खरीद का कोई लक्ष्य अलवर जिले में निर्धारित नहीं है। सरसों की खरीद एक पंजीयन पर एक किसान से अधिकतम 25 क्विंटल की जा रही है। गेहूं तथा चने की कोई निर्धारित सीमा नहीं है। केंद्र तथा प्रदेश मुख्यालय से बारदाने की व्यवस्था के अनुसार खरीद केंद्र की संख्या बढ़ेगी।
गुलाबचंद मीणा उप रजिस्ट्रार क्रय विक्रय सहकारी समिति। . रखबा घट-बढ़ जाता है कृषि विभाग उपनिदेशक पीसी मीणा का कहना है कि इस वर्ष खसरा-गिरदावरी तथा कृषि विभाग के कृषि पर्यवेक्षक से प्राप्त आंकड़े के अनुसार जिले भर में सरसों की बुवाई का रकबा 1लाख 45 हजार हैक्टेयर का रहा है। चने की फसल केवल साढे़ चार हजार हैक्टेयर में बोई गई है। गेहूं की बुवाई का रकबा 80 हजार 500 हैक्टेयर का रहा है। खेती मानसूनी जुआ है। इसका रखबा घट-बढ़ जाता है।
……………… एमएसपी पर सरसों की सरकारी खरीद शुरू गोविन्दगढ. कस्बे सहित ग्रामीण क्षेत्र में सरसों की फसल के बम्पर उत्पादन के बाद अब क्षेत्र के किसान खुश हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरसों की सरकारी खरीद सोमवार से शुरू हो गई है।
राजफैड की ओर से एक अप्रेल से सरसों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद प्रारंभ करने की घोषणा की गई थी, लेकिन किसानों को ऑनलाइन पंजीयन में मिलने वाली तिथि के चलते किसानों को सप्ताहभर तक का इंतजार करना पड़ सकता है। क्षेत्र के किसान राहुल, बालू, बाबू सहित अन्य किसानों ने बताया कि सरसों के बाजार भावों में लगातार अस्थिरता होने से किसानों में सरसों की बिक्री को लेकर असमंजस की स्थिति है। ऐसे में सरसों की सरकारी खरीद प्रारंभ होने से किसानों को फसल का उचित भाव मिल पाएगा।
5650 रुपए है एमएसपी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरसों की सरकारी खरीद करने के लिए सरकार की ओर से अधिकृत राजफैड व क्रय-विक्रय सहकारी समिति के व्यवस्थापक जीतू शर्मा ने बताया कि सरसों का एमएसपी भाव 5650 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है। एक अप्रेल से सरसों की एमएसपी खरीद शुरू हुई है। अब तक 50 किसान सरसों की एमएसपी पर बिक्री के लिए ऑनलाइन पंजीयन करवा चुके हैं। एक किसान से पांच क्विंटल प्रति बीघा की औसत से अधिकतम पच्चीस क्विंटल सरसों की खरीद की जाएगी।
6 किसानों के 250 बैग खरीदे : गोविंदगढ़ क्रय विक्रय सहकारी समिति लिमिटेड गोविंदगढ़ की ग्राम सेवा सहकारी समिति गोविंदगढ़ के माध्यम से समर्थन मूल्य सरसों खरीद की शुरुआत की गई, जिसमें प्रथम दिन 6 किसानों की 250 बैग सरसों खरीद की गई। क्रय विक्रय के जनरल मैनेजर लोकेंद्र कुमार गोविंदगढ़ ग्राम सेवा सहकारी समिति के व्यवस्थापक जितेंद्र कुमार शर्मा व गोविंदगढ़ ग्राम सेवा सहकारी समिति के अध्यक्ष नरेंद्र कुमार शर्मा, चरनी शर्मा, पुरुषोत्तम नाजुक किशनलाल खत्री प्रभु दयाल मीना उपस्थित रहे।