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अलवर

करोड़ों की लागत से बनाए पैनोरमा, फिर भी पर्यटकों को नहीं लुभा पा रहे

प्रचार-प्रसार के अभाव में अलवर की विरासत को जानने के लिए नहीं आ रहे पर्यटक

अलवरDec 25, 2022 / 02:05 am

Shyam

करोड़ों की लागत से बनाए पैनोरमा, फिर भी पर्यटकों को नहीं लुभा पा रहे

करोड़ों की लागत से बनाए पैनोरमा, फिर भी पर्यटकों को नहीं लुभा पा रहे

अलवर . अलवर की विरासत को जानने के लिए सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च कर महाराजा भर्तृहरि और हसनखां मेवाती के पैनोरमा बनवाए, लेकिन प्रचार-प्रसार के अभाव में यहां अलवर की विरासत को जानने के लिए पर्यटक ही नहीं आ रहे हैं। यहां रोजाना मात्र 5 से 10 पर्यटक ही आ रहे हैं।
सरकार की ओर से इन दोनों पैनोरमा को 21 जनवरी 2020 में शुरू किया गया। करीब तीन साल बाद इन पैनोरमा को देखने के लिए पर्यटकों की संख्या काफी कम बनी हुई है। प्रत्येक पैनोरमा को देखने के लिए बड़ों के लिए 10 रुपए और बच्चों के लिए 5 रुपए का टिकट निर्धारित है। साथ ही अनाथ व स्कूल के छात्रों के लिए नि:शुल्क है। पैनोरमा खुलने का समय सुबह 9.30 से शाम 5 बजे तक है। इन दोनों पैनोरमा में अलवर की धार्मिक व सांस्कृतिक विरासत समाई हुई है।

करीब छह करोड़ की लागत से बने थे दोनों पैनोरमा

महाराजा भर्तृहरि और हसन खां मेवाती की पैनोरमा के निर्माण कार्य पर करीब 6 करोड़ रुपए की राशि खर्च की गई। जिसमें हसन खां मेवाती के पैनोरमा में 1 करोड़ 36 लाख रुपए तथा महाराजा भर्तृहरि की पैनोरमा में 4 करोड़ 75 लाख रुपए का बजट लगा। दोनों पैनोरमा का उद्घाटन वर्ष 2018 में राजस्थान की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने किया था, जो करीब एक साल बाद 2019 में बनकर तैयार हुआ। इन्हें बनने के करीब दो साल बाद पर्यटकों के लिए खोला।

बकाया है बिजलीका बिल
दोनों पैनोरमा को बने कई साल हो गए। पैनोरमा बनने से लेकर अब तक का बिजली का बिल बकाया है। वहां स्थित गार्ड महावीर जुनेजा ने बताया कि यहां का बिजली का बिल अभी तक जमा नहीं कराया गया है।
पैनोरमा में यह है खास बात
दोनों पैनोरमा में अलवर का गौरवशाली इतिहास को दिखाया गया है। इनमें महाराजा भर्तृहरि और हसन खां मेवाती के बारे में जानने को मिलता है। इसमें महाराजा भर्तृहरि के राज-काज से लेकर संन्यासी बनने तक तथा हसन खां मेवती की वीरता ओर शौर्यता को चित्रकला के माध्यम से दिखाया गया है।
नहीं हो रखा रख-रखाव
शहर में बने इन दोनों पैनोरमा का रख-रखाव अच्छी तरह से नहीं हो रहा। राजा भर्तृहरि की पैनोरमा पर लगे कांच टूटे हुए हैं। साथ ही पैनोरमा स्थल के सामने कचरा पड़ा हुआ है।

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