आसपास के लोगों व वनप्रेमियों का कहना है कि नटनी का बारां में जलकुंभी जलीय जीवों की दुश्मन बनती जा रही है। पानी में लगातार जलकुंभी का दायरा बढ़ता ही जा रहा है। इससे जहां पानी का बहाव कम हो रहा है, वहीं पानी अशुद्ध व विषैला बना रही है। नदी की इस धारा में लोगों की ओर से प्लास्टिक की थैलियां सहित अन्य कचरा डाला जा रहा है। इससे पानी प्रदूषित हो रहा है। जलकुंभी के फैलने व पानी में प्लास्टिक व अन्य कचरा डाले जाने के कारण जलीय जीवों की जान को भी खतरा बढ़ता जा रहा है, इसके बाद भी वन विभाग व जिला प्रशासन की ओर से इस तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हरियाली से आच्छादित इस स्थल पर नदी को लगातार प्रदूषित किया जा रहा है। आरोप है कि जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारी आंखें बंद किए बैठे हैं। यहां मौके पर पानी में एक तरफ जहां जलकुंभी ने अपना जाल फैलाया हुआ है, वहीं दूसरी तरफ प्लास्टिक सहित अन्य कचरा पानी में तैरता दिखाई दे रहा है।
कराए गए थे विकास कार्य लोगों के अनुसार तत्कालीन कलक्टर आशुतोष ने अलवर सांसद व अलवर ग्रामीण विधायक कोटे से आवंटित राशि से यहां कई विकास कार्य कराए गए थे। इसके बाद डॉ. जितेंद्र सोनी ने डीएमएफटी योजना से करोड़ों रुपए के विकास कार्य करवा कर रूपारेल नदी के बहाव क्षेत्र को नया रूप देने का प्रयास किया था, लेकिन अब इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिससे यहां किए गए करोड़ों खर्च के कार्यों पर पानी फिरता नजर आ रहा है।
तेजी से बढ़ रही जलकुंभी स्थानीय लोगों का कहना है कि जलकुंभी काफी तेजी से बढ़ रही है। इसलिए प्रशासन इसका जल्द से जल्द समाधान करें, अन्यथा मछली एवं जलचर जीवों की जान को खतरा और बढ़ सकता है। जलीय जीवों के मरने से व कचरे के कारण जल भी प्रदूषित हो सकता है। इसलिए लोगों ने इस को लेकर ठोस कदम उठाए जाने की मांग की है। इधर मामले में संबंधित अधिकारियों से संपर्क का प्रयास किया, लेकिन बात नहीं हो पाई।