हाथ से कुटी खिचड़ी का स्वाद ही कुछ और है
आटा चक्की की दुकानों पर इन दिनों मशीन से कुटी हुई बाजरे की खिचड़ी खूब बिक रही है, लेकिन जो स्वाद हाथ से बनी खिचड़ी में है वो बाजार की खिचड़ी में नहीं होती है। यह कहना था ब्रह्मचारी मोहल्ला निवासी शशि शर्मा का। इसलिए आज भी देवरानी, जेठानी मिलकर हाथ से ही खिचड़ी कुटती है। इधर, हरबक्स का मोहल्ला की रहने वाली महिला गुंजन ने बताया कि सर्दी तेज है, इसलिए बाजरे की खिचड़ी बनाई जा रही है। हाथ से बनी खिचड़ी का स्वाद ही कुछ और होता है। इसे नींबू का अचार, धनिए की चटनी, मीठे तेल और घी के साथ खाने से शरीर को गर्माहट मिलती है। कुछ लोग गुड से खाना भी पसंद करते हैं।
होटलों के मेन्यू में सरसों का साग, बाजरे की रोटी
शहर के होटल व रेस्तरां संचालकों ने भी सर्दी के चलते ग्राहकों के लिए मेन्यू में बदलाव करते हुए नए व्यंजनों को शामिल किया है। रेलवे स्टेशन के समीप स्थित एक होटल में विशेष बोर्ड लगाया गया है जिसमें सर्दियों के लिए टमाटर का सूप, धनिया का शोरबा, सरसों का साग, मक्का बाजरा की रोटी आदि के बारे में जानकारी दी गई है। होटल के मैनेजर ने बताया कि ग्राहकों की मांग पर बाहर से महिलाएं बुलाई जाती है जो चूल्हे की रोटियां बनाती हैं। इसमें सादा रोटियों के अलावा मक्का बाजरे की रोटियां भी बनवाई जाती है।