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हरियाणा में पंजाबी समुदाय ने आबादी के अनुपात में राजनीतिक भागीदारी की मांग उठाई

इन संगठनों ने अपनी यह मांग किसी राजनीतिक दल विशेष के सामने ना रखते हुए कहा है कि वे किसी खास दल से यह मांग नहीं कर रहे है...

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(चंडीगढ): हरियाणा में पंजाबी समुदाय ने आबादी के अनुपात में अपनी राजनीतिक भागीदारी तय करने की मांग उठाई है। समुदाय के तीन संगठनों हरियाणा पंजाबी स्वाभिमान संघ,हरियाणवी पंजाबी वेलफेयर सभा,अखिल भारतीय जागृति मंच ने अलग-अलग यह मांग उठाई है। इन संगठनों की दलील है कि हरियाणा की करीब ढाई करोड आबादी में पंजाबी समुदाय 34 से 40 फीसदी तक है लेकिन राजनीति में उनका हिस्सा बहुत कम है। इन संगठनों ने अपनी यह मांग किसी राजनीतिक दल विशेष के सामने ना रखते हुए कहा है कि वे किसी खास दल से यह मांग नहीं कर रहे है। लेकिन जो भी दल उनकी इस मांग को पूरा करेगा वे उसका समर्थन करेंगे।

हरियाणवी पंजाबी स्वाभिमान संघ ने आबादी के अनुपात में समुदाय की राजनीतिक भागीदारी का फार्मूला पेश किया है। संघ के पदाधिकारियों ने यहां सोमवार को पत्रकारवार्ता में कहा कि समुदाय को विधानसभा में 25,लोकसभा में दो और राज्यसभा में एक सीट दी जाना चाहिए। इसी तरह की मांग हाल में हरियाणवी पंजाबी सभा और अखिल भारतीय जागृति मंच ने भी उठाई थी। इन संगठनों की दलील है कि कभी हरियाणा में पंजाबी समुदाय के तीस विधायक होते थे और इनमें 11 मंत्री होते थे। आज वो स्थिति नहीं है। इन संगठनों के पदाधिकारियों ने पहले की यही स्थिति बहाल करने की मांग की है। हरियाणवी पंजाबी स्वाभिमान संघ ने उन्हें रिफ्यूजी संबोधन से मुक्त करने की भी मांग की है। संगठन के पदाधिकारियों ने कहा कि इसके लिए एससीएसटी एक्ट की तरह कानून बनाया जाना चाहिए। रिफ्यूजी संबोधन पर कानून के तहत कार्रवाई की जाना चाहिए।

उन्होंने सरकारी नौकरियों में भी पंजाबी समुदाय की भागीदारी बढाने की मांग की। फरवरी 2016 में आरक्षण आंदोलन के दौरान पंजाबी समुदाय को जानमाल का नुकसान हुआ था। ऐसे पीडित पंजाबी परिवारों के एक-एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग भी की गई। आबादी के अनुपात में राजनीतिक भागीदारी के लिए प्रत्येक राजनीतिक दल के प्रमुखों को पत्र लिखने की धोषणा भी की गई।


हरियाणवी पंजाबी स्वाभिमान संघ ने केन्द्र सरकार द्वारा पंजाबी समुदाय को आवंटित 90 हजार एकड जमीन फिर से आवंटित करने की मांग उठाई। संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकार ने यह जमीन वर्ष 2011 में एक अधिसूचना जारी कर वापस ले ली थी। इस जमीन को फिर से पंजाबी समुदाय के लिए आवंटित किया जाए। हरियाणावी पंजाबी सभा और अखिल भारतीय जागृति मंच ने फरवरी 2016 में हुए जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान जलाई गई समुदाय के लोगों की दुकानों के मामले में राज्य सरकार द्वारा दिए गए मुआवजे को अपर्याप्त बताते हुए कहा कि जल्दी ही संगठन विशेषज्ञों की कमेटी से वास्तविक क्षति का आकलन करवाकर राज्य सरकार से पूरा मुआवजा देने की मांग करेगा।