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अंबिकापुर

International Women’s Day: घर-घर कचरा उठाने वाली 5 युवतियां बदल रहीं अपनी जिंदगी, पूरी की एमए-बीए की पढ़ाई

International Women’s Day: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर पत्रिका ने स्वच्छता दीदियों की मजबूत इच्छाशक्ति को किया साझा, ये पांचों युवतियां कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों में जुटीं

अंबिकापुरMar 08, 2024 / 03:01 pm

rampravesh vishwakarma

International Women's Day

Cleanliness Didi’s in SLRM Center

अंबिकापुर. International Women’s Day: जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए इच्छाशक्ति की जरूरत होती है। अगर मजबूत इच्छाशक्ति हो तो हर मुकाम हासिल किया जा सकता है। ऐसा ही कुछ अंबिकापुर के ठनगनपारा एसएलआरएम सेंटर में काम करने वाली 5 युवतियां ने कर दिखाया है। ये युवतियां जहां एसएलआरएम सेंटर में काम करते हुए परिवार को संभाल रहीं हैं वहीं इन्होंने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी है। इनमें से 2 युवतियों ने पोस्ट ग्रेजुएशन और 3 ने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। अब वे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुट गईं हैं।

8 मार्च को अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज महिलाएं पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रही हैं और अपनी पहचान बना रही हैं। देश की महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के बराबर हैं। वह चाहे किसी भी क्षेत्र में क्यों न हो।
आज हम हम आज बात करन ेजा रहे हैं मंजूषा कुजूर, रामेश्वरी तिर्की, सीता तिर्की, सरस्वती व सुगंती की। ये पांचों युवतियां अंबिकापुर के ठनगनपारा एसएलआरएम सेंटर में काम करतीं हैं। इनका काम रिक्शा से घर-घर जाकर कचरा कलेक्शन करना, कचरे की छंटाई करने के साथ-साथ कचरा शुल्क वसूलना है।
ये काम के बाद बचे समय में अपनी पढ़ाई करतीं हैं। एसएलआरएम सेंटर में काम करते हुए मंजूषा कुजूर व रामेश्वरी तिर्की ने पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई तथा सीता तिर्की, सरस्वती व सुगंती ने ग्रेजुएट कर लिया है। अब पांचों ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियां शुरु कर दी है।

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‘पढ़ाई ही एक मात्र रास्ता जो बदलेगी हमारी जिन्दगी’
मंजूषा कुजूर व रामेश्वरी एसएलआरएम सेंटर में काम करते हुए एमए तक की पढ़ाई पूरी कर चुकीं हैं। मंजूषा बतौली थाना क्षेत्र के ग्राम सुवारपारा जबकि रामेश्वरी राजपुर थाना क्षेत्र के ग्राम डकवा की रहने वाली हैं। ये दोनों अपनी संघर्ष की कहानी बताते हुए कहतीं हैं कि इनके माता-पिता खेती किसानी करते हैं।
International Women's Day
माता-पिता ने 10वीं-12वीं तक किसी तरह पढ़ाया, लेकिन आगे की पढ़ाई कराने की स्थिति में नहीं थ, जबकि हमलोग आगे भी पढऩा चाहते थे। पढ़ाई पूरा करने के उद्देश्य से मंजूषा ने वर्ष 2019 में अंबिकापुर आकर एसएलआरएम सेंटर में काम शुरु किया और अपनी पढ़ाई जारी रखी।
वहीं रामेश्वरी वर्ष 2016 से एसएलआरएम सेंटर में रहकर काम कर रही है और पढ़ाई जारी रखी थी। ये दोनों युवतियां काफी कठिनाइयों का सामना करते हुए पोस्ट गे्रजुएशन तक की पढ़ाई पूर्ण कर चुकी हैं। इन दोनों से पढ़ाई के महत्व के बारे में पूछने पर बताया कि पढ़ाई ही एक मात्रा रास्ता है जो हमारी जिन्दगी बदलेगी। ये दोनों अब प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों में जुट गईं हैं।

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भाई-बहन की पढ़ाई-लिखाई की भी उठाई जिम्मेदारी
पांचों लड़कियां एसएलआरएम सेंटर में काम कर अपनी पढ़ाई पूरी करने के साथ-साथ अपने परिवार को भी संभाल रहीं हैं। मंजूषा व सीता ने अपने भाई-बहन को भी अंबिकापुर में रखकर पढ़ाई की जिम्मेदारी उठाई हैं।

पुलिस भर्ती के लिए रोज सुबह उठकर लगातीं हैं दौड़
इन पांचों लड़कियों में गजब का उत्साह है। पूरे दिन एसएलआरएम सेंटर में काम करने के साथ-साथ अपनी पढ़ाई पूरी कर हर दिन सुबह ५ बजे उठकर पुलिस लाइन ग्राउंड में दौड़ लगातीं हैं। वे अपनी फिटनेस पर भी काफी ध्यान दे रहीं हैं ताकि पुलिस भर्ती में भी शामिल हो सके।
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